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२४ सुखशर्वरी। ....... .. . . . . . . छिपाए हुए हैं, पुलिस में खबर ही कि, 'हरिपुर का एक फकीर सुरेन्द्र को चुरा ले गया है।' चपरासियों ने थाने का हुक्म पाकर हमलोगों के महल्ले में आकर खोजखाज की । उसी समय वह फ़कीर पकड़ा गया । क्यों ठीक है कि नहीं?" तीनों,--" ठीक है, क्यों भाई जमुर्रद !" चतुर्थ,-" और भी कुछ सुना है ? उसी जमीदार ने रामशंकरबाबू पर भी नोलिश की हैं।" तीनों.-"यह क्यों?". चतुर्थ,-" उसी लड़के के लिये। आज केवल उस फकीर ही का नहीं, हमलोगों के जमीदारबाबू का भी मुकदमा होगा। कहां तक कहूं, चलो कचहरी में सब जान पड़ेगा। आज एक भयानक उपद्रव होगा, क्योंकि उस फकीर का भाई जल भुनकर कचहरी में इधर से उधर घूम रहा है !" अब तक चारो ओर कोलाहल होता था, मजिष्ट ट साहय के इजलास पर आते ही कचहरी ने शान्तभाव धारण किया । ग्यारह बजे बिचार प्रारंभ हुआ। नाजिर, पेशकार आदि अपनी अपनी काररवाई करने लगे। पांच सात जोड़ो गाड़ियां तेजी से बरसाती में आकर खड़ी हुई। कई अपरिचित व्यक्ति उस पर से उतरे, उनमें सभी बेजान-पहचान के नहीं थे। पाठक ! देखिए हरिहरबाबू अनाथिनी को संग लेकर बिचारालय में पधारे हैं ! - रामशंकरशर्मा के देखने के लिये इच्छा होती है। देखिए. हरिहरशर्मा की दूसरी भोर वे खड़े हैं । क्या चीन्हा ? ये बड़े सिरवाले, स्थूलकाय, आपनूम के कुंदे, मांसपिंड विशेष रामशंकरबाबू दण्डायमान हैं ! सुरेन्द्र सुन्दर कपड़ा-लत्ता पहिरे एक किनारे बैठा है, क्या आपलोगों ने चीन्हा ? हा!-कैसा मलिन वस्त्र पहिरे अनाथिनी खड़ी है। दोनो बहिन-भाई एक ही जगह थे, पर सुरेन्द्र ने अनाथिनी को नहीं चीन्हा। मजिष्ट्रट साहब ने बिचार प्रारंभ किया, पीछे बद्धहस्त एक फकीर कटहरे में खड़ा किया गया, उसके चारो ओर प्रहरीगण सतर्क खड़े हुए थे। यह वही भिक्षुक था, जो रात को वृद्धा की कुटीर में से बालक सुरेन्द्र को चुरा लाया था। अन्यान्य कामों में एक घंटा बीता, HTRIYFFIPROPERTAINP