पृष्ठ:सुखशर्वरी.djvu/५५

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MEE NHRIRAM MATERTRAILERTISEM E DERECASSES Ramanumaruaa m an अनाथिमी ने उदासान को निश्चय करा दिया था कि, ' सरला से जरूर तुम्हारा परिणय होगा; ' इससे उनका उदासीन भाव मिट गया था, और सरला से मिलने के लिये अनाधिनी के संग वे मन्दिर में आए थे । अनाथिनी ने उन्हें एक निभत-निवास में थोड़ी देर के लिये छिपा रक्खा था, और सरला के मन की परीक्षा लेने के लिये अकेली मन्दिर में गई थी। अब सरला के चित्त का मर्म जानकर और पहिला गबं दूर हुओ देखकर उपकारी की वाञ्छा पूरी करने के लिये वह यत्न करने लगी। उदासीन को देखते ही सरला थर्रा कर स्तम्भित होगई ! उसने मन में सोचा कि, "अहा यही व्यक्ति, जिसे पहिले अमादर करके बिदा कर दिया था, मेरे लिये उदासीन हैं ! ये ही मेरे प्रेम के भिखारी हैं ? ये ही सहोदर भाई के उद्धारकारी हैं ! धन्य भाग्य ! ____अनाथिनी सरला की अष्टपूर्व लज्जा देख, हस कर बोली,"सरला ! अपने पागल की इच्छा पूरी करी । ये तुम्हारे प्रेमाकांक्षी हैं ! उस दिन तुमने इन्हीं को न स्वप्न में देखा था ? स्वप्न में इन्हीं से न विवाह किया था ? ये तुम्हारे सच्चे पति हैं । पहिले जो अज्ञानता से इनके संग खोटाव्ययहार किया था, चरण थाम कर उसे क्षमा कराओ । सरला ! देखो ! अपनी प्रतिज्ञा न भूलना, जो अभी की थी।" सरला ने लब्बा से घंघटपट में मुख छिपा कर अपनी प्रतिज्ञा की सत्यता " मौनं सम्मतिलक्षणं " से दिखा दो । उसे आनन्दाथ के संग रोमाऊच हो आए ! उसने मन ही मन कहा, 'मैं अपनी प्रतिज्ञा जरूर पूरी करूंगी!' - अनन्तर सबने चलने की तयारी की, पर प्रेमदास बाजार गए थे, इसीसे थोड़ा ठहरना पड़ा।