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श्री:
दिव्यादिव्यतर-लोकङ्गता, चिरसौभाग्य-
वतीवती, सती-साध्वी-पतिव्रता-पदवाच्या, निज
भार्या के चिरस्मरणार्थ यह “सुखशर्वरी"
उसीके पुनीत नाम पर हम उत्सर्ग करते हैं।
श्रीकिशोरीलालगोस्वामी--
श्री:
दिव्यादिव्यतर-लोकङ्गता, चिरसौभाग्य-
वतीवती, सती-साध्वी-पतिव्रता-पदवाच्या, निज
भार्या के चिरस्मरणार्थ यह “सुखशर्वरी"
उसीके पुनीत नाम पर हम उत्सर्ग करते हैं।
श्रीकिशोरीलालगोस्वामी--