पृष्ठ:सूरसागर.djvu/५२६

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दशमस्कन्ध-१० - लाल रंगभीनेहो।।२। गौरी ॥ गोकुल सकल ग्वालिनीहो घर घर खेलें फागु मनोरा झूमकरो । तिन में श्रीराधा लाडिलीहो जिनको अधिक सुहाग मनोरा झूमकरो ॥॥ झुंडनि मिलि गावति चली हो झुमक नंदवार मनोरा झुमकरो । आजु परख हँसि खेलोहो मिलि संग नंदकुमार मनोरा झुमकरो॥२॥ रसिकराइ सुंदर वरहो श्रीराधा जिन प्राण मनोरा. झूमकरो । मोहन दरश दिखावहू हो डरहु तो नंदकी आन मनोरा झूमकरो ॥ ३॥ प्रगट प्रीति गोकुल भईहो अब कैसे करत दुराव मनोरा झूमकरो।हम न दरश बिन जीवहीं हो कोड़ कछु करहु उपाव मनोरा झूम करो॥४॥ यशुमति सुत चित चुभि रहीहो वह तुमही मुसुकान मनोरा झूमकरो।अव न अनंत रुचि उपजैही सहजपरी यह वानि मनोरा झुमकरो॥६॥ दुरत श्याम धरि पाएहो राधा धाय भरी अंकवारि मनोरा झुमकरो। कनक कलस केसरि भरीहो लै धाई ब्रजनारि मनोरा झुमकरो॥ ६॥भरहु भरहु सखि श्यामही हो पीत पिछोरी पाग मनोरा झूमकरोदेिह गेह सुधि विसरी हो नँदनं दन अनुराग मनोरा झुमकरो॥७॥ छूटे केश कंचुक बंदहो टूटे मोतिन माल मनोरा झूमकरो। चोवा चंदन अरगजाहो उड़त अवीर गुलाल मनोरा झूमकरो ॥८॥ करकट ताल वजावही हो छिरकत सव ब्रजनारि मनोरा झूमकरो । हँसि हँसि हरि पर डारहींहो अरुन नयन फुलवारि मनोरा झूमकरो ॥ ९॥ सुर नर मुनि कौतुक भूलेहो आनंद वर फूल मनोरा झूमकरो। गगन विमान नछायोहो झेहनसूझे सूर मनोरा झूमकरो ॥ १० ॥ सूर गोपाल कृपा विनुहो यह रस लहै न कोई मनोरा झूमकरो । श्रीवृपभानु किसोरी हो श्याम मगन मन होइ मनोरा झूमकरो।।११॥३॥सारंग।। आलीरी नंदनंदन वृपभानु कुँवरिसों बादयो अधिक सनेह । दोऊ दिशिप आनंद वरपत ज्यों भादौंको मेह ॥ सब सखियां मिलि गई महरिपै मोहन मांगो देहु दिना चारि होरीके औसर बह रि आफ्नो लेहु ॥ झुकि झुकि परति है कुँवरि राधिका देति परस्पर गारि । अव कहा दुरे साँवरे ढोटा फगुवा देव हमारि ॥ हँसि हँसि कहति यशोदा रानी गारी मति कोउ देहु । सूरदास श्याम के बदले जो चाहो सो लेहु ॥४॥ोढी ॥ या गोकुल के चौहटे रंग भीजी ग्वालिनि । हरि सँग खेले फाग नैन सलोनरी रंग राची ग्वालिनि । डरति न गुरुजन लाज नैन सलौनरी रंग राची ग्वालि नि । दुंदुभिवाज गहगहे रंगभीजी ग्वालिनि ॥ नगर नगर कोलाहल होई नैन सलोनरी रंगराची ग्वालिनि । उमझो मानुप घोषयों रंग भीजी ग्वालिनि ॥ भवन रह्यो नहिं कोइ नैन सलोनरी रंगराची ग्वालिनि । डफ वाँसुरी सुहावनी रंग भीजी ग्वालिनि ॥ ताल मृदंग उपंग नैन स लौन रंगराची ग्वालिनि । झांझ झालरी किन्नरी रंग भीजी ग्वालिनि । आउ झवर मुंहचंग नैन | सलोनरी रंगराची ग्वालिनि । उतहि संग सब ग्वाल लिए रंगभीजी ग्वालिनि । सुंदर नंदकुमार | नैन सलोनरी रंगराची ग्वालिनि । उत श्यामा नव योवना रंगभीजी ग्वालिनि ॥ अंबुज लोचन चारु नैन सलोनरी रंगराची ग्वालिनि । केसूके कुसुम निचोइक रंगभीजी ग्वालिनि ॥ भएँ परस्पर आनि नैन सलोनरी रंगराची ग्वालिनि । चोवा चंदन अरगजा रँगभीजी ग्वालिनि ॥ कुमकुम वंदन सानि नैन सलोनरी रँगराची ग्वालिनि । रत्न जटित पिचकारिआं रंगभीजी ग्वालिनि । करलिए गोकुलनाथ नैन सलोनरी रंगराची ग्वालिनि । छिरकहिं मृगमद कुमकुमा रंगभीजी ग्वालिनि ॥ जो राधेके साथ नैन सलोनरी रंगराची ग्वालिनि । सुरंगपीतपट रंग रह्यो रँगभीजी ग्वालिनि ॥ सुभग सांवरे अंग नैन सलोनरी रंगराची ग्वालिनि । नीलवसन भामिनिवनी रंगभीजी। ग्वालिनि ॥ कंचुकी कुसुम सुरंग नैन सलोनरी रंगराची ग्वालिनि । अरुणनूतपल्लवधरे -