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पृष्ठ:सेवासदन.djvu/२३२

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सेवासदन
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पेश कर सकते है। सुधार के लिए आप जो कुछ कर सके वह सर्वथा प्रशस-नीय है, लेकिन यह काम बस्ती से हटाकर भी उतना हो आसान है जितना शहर के भीतर, बल्कि वहाँ वह सुविधा अधिक हो जायगी।

अबुलवफा ने कहा, मुझे इस तरमीम से पूरा इत्तफाक है।

अब्दुल्लतीफ बोले, बिला तरमीम के मे रिज्योल्यूशन को कभी कबूल नहीं कर सकता।

दीनानाथ तिवारी ने भी तरमीम पर जोर दिया।

पद्मसिंह बोले, इस प्रस्ताव से हमारा उद्देश्य वेश्याओं को कष्ट देना नहीं वरन् उन्हें सुमार्ग पर लाना है, इसलिये मुझे इस तरमीम के स्वीकार करने में कोई आपत्ति नहीं है।

सैयद तेगअली ने फरमया, तरमीम से असल तजबीज का मशा फौत हो जान का खौफ है। आप गोया एक मकान का सदर दरवाजा बन्द करके पीछे की तरफ़ दूसरा दरवाजा बना रहे हैं। यह गैरमुमकिन है कि वे औरतें जो अब तक ऐश और बेतकल्लुफीकी जिन्दगी बसर करती थी, मेहनत और मजदूरी की जिन्दगी बसर करने पर राजी हो जायें। वह इस तरमीम से नाजायज फायदा उठायेगी, कोई अपने वालाखाने पर सिगरकी एक मशीन रखकर अपना बचाव कर लेगी, कोई मोजे की एक मशीन रख लेगी, कोई पान की दुकान खोल लेगी, कोई‌ अपने बालाखाने पर सेव और अनार के खोनचे सजा देगी। नकली निकाह और फरजी शादियों का बाजार गर्म हो जायगा और इस परदे की आड़ में पहले से भी ज्यादा हरामकारी होने लगेगी। इस तरमीम को मजूरकरना इंसानी खसलतसे बेइल्मीका इजहार करना है।

हकीम शोहरतखां ने कहा, मुझ सैयद तेगअलीके खयालात बेजा मालूम होते हैं। पहले इन खवीस हस्तियों को शहरबदर कर देना चाहिये। इसके बाद अगर वह जायज तरीके पर जिन्दगी बसर करना चाहे तो काफी इतमीनान के बाद उन्हें इम्तहानन शहर में आकर आबाद होने की इजाजत देनी चाहिये। शहर का दरवाजा बन्द नहीं है, जो चाहे यहाँ आबाद