हो सकता है। मुझे कामिल यकीन है कि तरमीम से इस तजबीज का मक-सद गायब हो जायगा।
शरीफहसन वकील बोले, इसमें कोई शक नहीं कि पंडित पद्मसिंह एक बहुत ही नेक और रहीम बुजुर्ग हैं, लेकिन इस तरमीम को कबूल करके उन्होंने असल मकसट पर निगाह रखने के बजाय हरदिलअजीज बनने को कोशिश की है। इसमें तो यही बेहतर था कि यह तजवीज पेश हो न की जाती। सैयद शफकतअली साहब ने अगर ज्यादा गौर से काम लिया होता तो वह कभी यह तरमीम पेश न करते।
शाकिर वेगने कहा, कम्प्रोमाइज मुलकी मुआमिलात में चाहे कितना ही काबिल तारीफ हो, लेकिन इखला को बुराइयों पर सिर्फ परदा पड़ जाता है।
सभापति सेठ बलभद्रदासने रिज्योल्यूशनके पहले भाग पर राय ली। ९ सम्मतियाँ अनुकूल थी, ८ प्रतिकूल। प्रस्ताव स्वीकृत हो गया। फिर तरमीम पर राय ली गयी, ८ आदमी उसके अनुकूल थे, ८ प्रतिकूल, तरमीम भी पास हो गयी। सभापति ने उसके अनुकूल राय दी। डाक्टर शयामाचरण ने किसी तरफ राय नहीं दी।
प्रोफेसर रमेशदत्त और स्तमभाई और प्रभाकरराव ने तरमीम के स्वीकृत हो जाने में अपनी हार समझी और पद्मसिंह को ओर इस भाव से देखा, मानों उन्होंने विश्वासघात किया है। कुँवर साहब के विषय में उन्होंने स्थिर किया कि यह केवल बातूनी, शक्की और सिद्धातहीन मनुष्य है।
अबुलवफा और उनके मित्र गण ऐसे प्रसन्न थे मानों उन्हीं की जीत हुई है। उनका यों पुलकित होना प्रभाकरराव और उनके मित्रों के हृदय में कांटे की तरह गढ़ता था।
प्रस्ताव के दूसरे भागपर सम्मति ली गई। प्रभाकरराव और उनके मित्रों ने इस बार उसका विरोध किया। वह पद्मसिंह को विश्वासघातक का दण्ड देना चाहते थे। यह प्रस्ताव अस्वीकृत हो गया। अबुलवंफा आर उनके मित्र बगले बजाने लगे।