तक इन लगातार की लड़ाइयों का ब्रिटिश राज्य से कोई सरोकार नहीं है।" "सिर्फ इतनी ही बात सच नहीं है कि इन लड़ाइयों से ब्रिटेन के राज्य का कोई सरोकार नहीं है-हक़ीकत तो यह है कि हम ने न हिन्दु- स्तान को फ़तह किया है न फ़तह कर ही रहे हैं।" "लेकिन हिन्दुस्तान का बादशाह तो अब हमारा पैन्शनयाफ्ता कैदी है। और अब तो हम ही हिन्दुस्तान के बड़े हिस्से पर काबिज़ हैं, और उस पर शासन भी कर रहे हैं। हमारा कानून, हमारा अदल, हमारी अदालतें, हमारे कलक्टर, हमारी पुलिस, ये सब क्या हिन्दुस्तान में अमल में नहीं आ रहे ? क्या हम ने नए सिरे से ज़मीन के बन्दोबस्त नहीं किए ? और अब उसका लगान मालगुजारी बादशाह की तरह हम नहीं ले रहे ?" "ज़रूर ले रहे हैं मेजर, और दर हक़ीकत अब मुल्क में कम्पनी- बहादुर की ही अमलदारी है, कम्पनी-बहादुर की ही सरकार है और हम कम्पनी-बहादुर के ही नौकर हैं ?" "परन्तु ईस्ट इण्डिया कम्पनी ब्रिटिश राज्य का प्रतिनिधित्व नहीं करती ?" "अवश्य ही नहीं करती। उसने अपने निजी धन-जन से ही हिन्दु- स्तान को जीता है।" "परन्तु वह चार्टर्ड कम्पनी है, जिसे भारत और चीन में व्यापार करने का इजारा मिला हुआ था। इसलिए यह स्वाभाविक है कि ब्रिटिश पार्लमेन्ट का उससे अनुराग है । इसके अतिरिक्त एक बात यह भी है कि कम्पनी के द्वारा युद्धों का प्रारम्भ किसी भारतीय राज्य के साथ नहीं हुआ, फैन्चों के विरोधस्वरूप हुआ।" “यह कैसे ?" "अंग्रेजों की पहली सैनिक कार्यवाही फ्रेन्च आक्रमण से अपनी रक्षा करने के लिए उस समय हुई जब हैदराबाद के निजामुलमुल्क आसफजाह की मृत्यु के बाद उसके उत्तराधिकारियों में जंग छिड़ा । और फ्रेन्च डुप्ले
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