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पृष्ठ:सोना और खून भाग 1.djvu/१०२

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तो यही प्रकट होने लगा था कि हमारी तेजस्विता का युग ही बीत चुका।" "परन्तु ठीक इसी समय हम भारत में दुर्दमनीय विजेता बन कर विजय वैजयन्ती फहरा रहे थे। प्लासी में, असाई में और दूसरे अनेक युद्धक्षेत्रों में अंग्रेज़ी सेनाएँ अपने से बहुत बड़ी सेनाओं के विरुद्ध विजयी होती रहीं। क्या यह आश्चर्यजनक नहीं है ?" "अवश्य ही आश्चर्यजनक है जनरल महोदय, खास कर इसलिए कि जिस समय भारत की विजय का प्रारम्भ हुआ था, उस समय कुल ब्रिटेन के निवासियों की संख्या करोड़ भी न थी। फिर ब्रिटेन यूरोप ही में उस समय भी आज की भाँति युद्धों में फंसा हुआ था। खास कर क्लाइव ने जब प्लासी का युद्ध जय किया उस समय यूरोप में हम सप्त- वर्षीय युद्ध में फंसे थे।" "और अब ? जब लार्ड वेल्ज़ली देशी रियासतों को उखाड़ कर अंग्रेजी साम्राज्य का विस्तार कर रहे हैं। क्या हम यूरोप में जगज्जयी नेपोलियन से कठिन लोहा नहीं ले रहे ?" “यह एक शानदार स्थिति है जनरल महोदय ।" "आश्चर्यजनक भी मे जर फ्रेजर, खास कर इसलिए, कि ब्रिटेन कभी भी स्थलयुद्ध में अगुअा नहीं रहा । न हमारा ब्रिटेन का राज्य ही कभी सैनिक राज्य रहा ।" "मैं भली-भाँति जानता हूँ कि यूरोप की लड़ाइयों में हमने अपने समुद्री बेड़े ही पर अपनी शक्ति का सन्तुलन किया। और जब कभी स्थल- युद्ध का अवसर आया तो किसी मित्र सैनिक राज्य को भारी रक़म देकर उससे सैनिक मदद लेते रहे हैं-कभी प्रशिया से और कभी आस्ट्रिया से।" "फिर भी हम ने भारत के ऐसे बड़े भाग पर अपना अधिकार कर लिया है, जहाँ का क्षेत्रफल दस लाख वर्गमील और जनसंख्या बीस करोड़ है। तिस पर तुर्रा यह है कि जहाँ ब्रिटेन आज यूरोप के युद्धों के