पृष्ठ:सोना और खून भाग 1.djvu/१०७

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मुग़ल साम्राज्य ज़मीन में पड़ा हुआ मिला है।" "धन्यवाद लार्ड महोदय, हम लोगों में खूब बातें हुईं। अब मैं आपकी आज्ञा पालन के लिए इसी रात कूच करता हूँ।" "कृपा कर 'सपर' यहीं ले लीजिए मेजर फ्रेजर ! सौभाग्य प्रापका साथ दे। हम संसार में एक भारी सभ्य क्रान्ति कर रहे हैं, यदि भारत में ब्रिटिश साम्राज्य स्थापित कर रहे हैं । यह हमारे लिए भी और उनके लिए भी महत्वपूर्ण है। हमारे लिए तो इसलिए कि हम पूर्व में अब गहरी दिल- चस्पी लेंगे, और उसका फल समूचे यूरोप की राजनीति और अर्थ नीति पर होगा। और भारतीय राष्ट्र ब्रिटिश छत्रछाया में आकर नवीन जीवन धारण करेगा । आश्चर्य नहीं अपने लम्बे दीर्घकालीन इतिहास में अब वह राष्ट्रीय रूप धारण कर ले।" जनरल लेक एक झटके के साथ कुर्सी से उठ खड़े हुए और उन्होंने अपने खानसामा को 'सपर' चुनने का आर्डर दिया। अठारहवीं शताब्दि के अन्तिम चरण अठारहवीं शताब्दि के अन्तिम चरण में सभ्यता ने एक करवट बदली। और उसके प्रभाव से जो हवा पश्चिम में बही, उसने भारत को भी छू लिया । 'स्वतन्त्रता', 'समता' और 'मनुष्य मात्र के बन्धुत्व' की एक धीमी हल्की आवाज़ सभ्य संसार में उठी । और दुनियाँ ने देखा कि अमेरिका ने बिना राजा का राज्य कायम कर लिया और फ्रांस ने अपने राजा का सिर काट कर प्रजातन्त्र की स्थापना कर ली । इसने आधे यूरोप के कान खड़े कर दिए । और लोग नए दृष्टिकोण से मनुष्य के अधिकार, स्वतन्त्रता और समता के भावों को देखने लगे। राजनैतिक क्षेत्र में इस क्रान्ति ने मानव उन्नति के एक युग को पूरा करके दूसरे युग की सीमा में धकेल दिया।