पृष्ठ:सोना और खून भाग 1.djvu/१०८

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परन्तु जब फ्रांस में स्वतन्त्रता-समता और जनतन्त्र की हवा बह रही थी-तब उसका पड़ौसी ब्रिटेन उसे चारों ओर से रोकने की जी-जान से कोशिश कर रहा था । और चाहता था कि फ्रांस की हवा इंग्लेण्ड में न घुसने पाए, जहाँ इस समय पूँजीवाद जन्म ले रहा था। इस चरण में संसार की जो बड़ी-बड़ी क्रान्तिकारिणी घटनाएँ हुईं- उनमें दो मुख्य थीं । एक अमेरिका ने इंगलैंड की दासता से मुक्त होकर प्रजातन्त्र की स्थापना की। दूसरी, फ्रांस ने बादशाह को मार कर प्रजातन्त्र स्थापित किया। इस समय पिट इंगलैंड का प्रधानमंत्री था। वह पूरी तरह साम्राज्यवादी और फ्रांस का शत्रु था। उसी के संकेत से लार्ड बेल्ज़ली को ईस्ट-इण्डिया कम्पनी के डायरेक्टरों ने गवर्नर-जनरल बना कर भारत में भेजा। चलती बार वह यह प्रतिज्ञा करके आया था-"मैं बादशाहतों के ढेर लगा दूंगा। और विजय पर विजय तथा मालगुजारी पर मालगुज़ारी लाद दूंगा । मैं इतनी शान, इतना धन और सत्ता एकत्र कर दूंगा कि एक बार मेरे महत्वाकाँक्षी और धन-लोलुप मालिक भी अश-अश कह उठेगे।" भारत पहुँचने से प्रथम ही उसने अपनी नई चाल सोच ली थी। उसमें एक खास तजवीज़ यह की गई थी कि भारतीय राजाओं के पास जहाँ जितनी स्वतन्त्र सेनाएँ मौजूद थीं, उन सेनाओं को एक-एक कर किसी तरह बर्खास्त करा दी, और उन राजाओं और उनकी रियासतों की रक्षा का भार कम्पनी की सरकार के ऊपर लेकर और पुरानी रियासती सेनाओं की जगह कम्पनी की सेनाएँ अंग्रेज़ अफ़सरों के अधीन, रियासतों के खर्चे पर, सब रियासतों में कायम कर दी। इस नई प्रणाली का नाम-सबसीडीयरी रखा गया। सबसीडीयरी एलाएन्स का अर्थ था- आर्थिक सहायता, और एलाएन्स का अर्थ था मित्रता । अभिप्राय यह- कि प्र.येक देशी नरेश कम्पनी को निश्चित आर्थिक सहायता दे कर कम्पनी की सैनिक मित्रता प्राप्त करले । वास्तव में यह देशी नरेशों को उन्हीं के खर्चे से उन्हीं की रियासतों में कैद कर रखने की सुन्दर योजना