पृष्ठ:सोना और खून भाग 1.djvu/१५२

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इसी समय इंगलैंड-प्रशिया और रूस उसके विरुद्ध उठ खड़े हुए और इन संयुक्त शक्तियों से परास्त करक नैपोलियन को सिंहासन त्याग कर एल्बा में जो इटली के पश्चिमी तट पर है, नजरबन्द कर दिया। परंतु वह महत्त्वाकांक्षी वहाँ से अवसर पाकर भाग निकला। इसी समय उसके शत्रु यूरोप के बटवारे में परस्पर खटक रहे थे—यह अभिसन्धि देख वह फिर फ्रांस का बादशाह बन बैठा। परंतु वह इस बार केवल सौ दिन तक ही बादशाहत कर सका। उसके विरुद्ध सारा यूरोप आपस के झगड़े भुला कर सुगठित हो गया। अंत में वाटरलू के संग्राम में उसे पराजित हो कर अंग्रेजों का बंदी होना पड़ा-उन्होंने उसे सैंटहेलेना के टापू में कैद कर लिया, जहाँ वह छह वर्ष कैद रह कर मर गया । सन् १८१२ में जब नैपोलियन पर तबाही आई, ठीक उसके एक वर्ष बाद सन् १८१३ में हेस्टिग्स गवर्नर-जनरल होकर भारत में आया, और इसी साल कम्पनी का नाम चार्टर भी बदला । यह चार्टर बहुत वाद-विवाद और छानबीन के बाद तैयार किया गया था। और इस पर स्पष्ट ही इंगलैंड की बढ़ती हुई महत्वाकांक्षाओं का प्रभाव था। सन् १८०७ में नैपोलियन लगभग सारे यूरोप का अधिपति बन गया था। और १७६३ में तो वह भारत विजय के इरादे से मिश्र तक पहुंच चुका था। पर इंगलैंड उसके आगे चट्टान की भाँति अड़ गया, जिससे टकरा कर वह चकनाचूर हो गया। वे यूरोप में नेपोलियन के पतन के बाद उसकी लगभग सम्पूर्ण महत्वाकांक्षानों को अपने मन में समेट कर हेस्टिग्स भारत में आया था और उसने भारत में आते ही चौमुखा आक्र- मण आरंभ कर दिया था। सन्..१३ का चार्टर इंगलैंड की बढ़ती हुई जन-क्रान्ति का प्रतीक था । इस समय इंगलैंड पर तीसरे जार्ज का शासन था, जो अन्धा बहरा और पागल था। इसके बाद हेस्टिग्स ही के काल में वह बादशाह मर गया और और जार्ज चतुर्थ बादशाह बना । जो बड़ा शराबी, ऐयाश, जुआरी और नालायक आदमी था । इस समय इंगलैंड का मंत्री-मण्डल उकस रहा था। और इंगलैंड भर में नई हवा बहने लगी .