पृष्ठ:सोना और खून भाग 1.djvu/१६५

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संगीनों और कूटनीति से भयभीत होकर वह पंढरपुर चला गया । वहाँ से वह सतारा के निकट माहुली तीर्थ जा पहुंचा, जहाँ कि कृष्णा और पन्ना नदी का संगम है। वहाँ उसने सर जान मलकम को बुलाया । और कहा-संगीनों के बल पर मुझ से सन्धि पर दस्तखत कराए गए हैं। और एल्फिन्स्टन ने मेरे ऊपर जासूसों का ऐसा जाल बिछाया है कि मैंने किस दिन क्या खाया, वह भी उन्हें पता लगता रहता है । मैं तो अब भी अंग्रेजों से सच्ची मित्रता चाहता हूँ। सर जान मेलकम ने उसे सलाह दी-अंग्रेज इस समय पिण्डारियों के दमन के लिए, सैन्य संग्रह कर रहे हैं । आप भी एक सैन्य संग्रह करके उनकी सहायता कीजिए। उस से आप के और अंग्रेजों के सम्बन्ध ठीक हो जाएंगे। भोले बाजीराव ने यह बात गाँठ बाँध ली, और मेलकम की सलाह के अनुसार अंग्रेजों की मदद के लिए सेना जमा करना प्रारम्भ कर दिया। यहीं वह अंग्रेज कूटनीति से मात खा गया, जिस के कारण उसे पदच्युत हो मागे तीस बरस अंग्रेजों के कैदी की भाँति काटने पड़े। नवागन्तुक अभी सूर्योदय हुआ ही था, कि एक ब्रिटिश जहाज बम्बई के बन्दर- गाह पर आकर लगा । इस जहाज की प्रतीक्षा बड़ी देर से की जा रही थी, क्योंकि इस में कुछ अंग्रेज सैनिकों की टुकड़ियाँ, सैनिक अफ़सर और नए ढंग की बन्दूकें और तो आने वाली थीं। सूर्य की शरदकालीन धूप में हारबर के उस छोर पर पहाड़ियाँ चमक रही थीं जिन पर दूर कहीं-कहीं मराठों के पहाड़ी किले चुपचाप प्राकाश में सिर ऊँचा किए खड़े थे। आज कल बम्बई का जो सब से गुलजार इलाका फोर्ट के नाम से प्रसिद्ध है, उन दिनों यहाँ अंग्रेजों का