पृष्ठ:सोना और खून भाग 1.djvu/१७१

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को तुम्हारी उन से मुलाक़ात करा दूंगा। क्योंकि कल सुबह ही तुम्हें कूच करना होगा।" "यद्यपि मैं थका हुआ हूँ और मुझे अभी आराम की ज़रूरत है पर मैं तुरन्त ही सफ़र को तैयार हूं-मैं चाहता हूँ जब तक हिन्दुस्तान की वाहियात जलवायु मेरी तबियत को सुस्त और निकम्मा न कर दे- उससे प्रथम ही मैं अपनी तलवार के जौहर दिखा सकूँ।" "बेशक, बेशक । किन्तु क्या तुम्हें जहाज़ की यात्रा में बहुत तकलीफ़ हुई।" "अोह, बहुत कैप्टेन, यद्यपि हम तेज़ चाल से चले, परन्तु राह में रुकना पड़ा । हम ने मई के अन्त में लंडन छोड़ा था । और अब आज यह अक्टूबर की चौथी तारीख है । हमें चार महीने से अधिक लग गए। "तो क्या मौसम ज्यादा खराब रहा ?" "अोह, बहुत ही खराब । फिर सैनिक अभियान । पीने का पानी बहुत ही खराब । सीले हुए बिस्कुट । बस समुद्री वायु की ताज़गी नाम लेने भर को कही जा सकती थी, पर वह भी खार के कूड़ा-कर्कट की गंध से परिपूर्ण । परन्तु मैंने एक काम बुद्धिमानी का किया ।" "क्या ?" "मैंने जहाज़ ही पर मराठी और दूसरी हिन्दुस्तानी भाषाएँ कुछ-कुछ बोलनी सीख ली हैं, जो निस्संदेह यहाँ बहुत काम आएँगी।" "ओह, निस्संदेह यह तुम ने अच्छा काम किया। तो अब तुम थोड़ा आराम करो दोस्त। शाम को मैं तुम्हें मेजर विल्सन से मिलाऊँगा। और सुबह तुम्हारा कूच होगा।" पेशवा के पूना में इन दिनों बड़ी भारी सरगर्मी थी। मराठों की हथियार बन्द टुकड़ियों जत्था-बन्द बाज़ारों और गली कूचों में चक्कर काट रहीं १७५