पृष्ठ:सोना और खून भाग 1.djvu/२३६

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"तो यह तो सातों विलायत में रोशन है कि नई बेगम के जो लड़का हुआ है वही तख्त का वारिस होगा।" "लेकिन यह कौन जानता है कि बादशाह बेगम इस बात को पसन्द करेंगी भी या नहीं।" "उई रे, यह बात ये फ़िरंगी जान कर क्या करेंगे। बादशाह-बेगम भी इस फ़िक में हैं कि जादू-टोना करके बादशाह को काबू करें, वह उनके महल में आयें-और उनके पेट से भी बच्चा हो जो लखनऊ की गद्दी का सच्चा वारिस हो।" "मुल्के जमानिया तो नई बेगम के लड़के को वारिस मानते नहीं ?" "कैसे बनाएँगे, कोई हंसी-ठठ्ठा है। बेस्वा का लड़का अवध का बादशाह बनेगा, तो बादशाह-बेगम का लड़का क्या भिश्ती का काम करेगा?" "तो पहले उनके लड़का हो भी तो ले ।" "उन्होंने हज़रत अब्बास की दरगाह की जियारत की है और मानता मानी है। उनके लड़का होगा। मैं कहे देती हूँ। हज़रत अब्बास भी जागती जोत हैं।" "और नई बेगम जो क़ासिम अलीशाह की मुरीद हैं ?" "कौन क़ासिम अलीशाह ?" "कोई शाह साहब हैं, पहुँचे हुए।" "शाह साहब हैं या कोई जालिए हैं।" "क़ासिम अलीशाह को नहीं जानतीं, सातों विलायत में उन की धूम है । बड़े करामाती हैं। "अल्ला रे अल्ला, ये कौन औलिया नखलऊ में पैदा हुए, कहीं छथन का लौंडा क़ासिम तो नहीं। जो मिर्जा के यहाँ चार आना माहवार और खाने पर नौकर था ?' "हाँ-हाँ, वही है। अब तो गैबी ताक़तें और जिन्नात उसके बस में हैं । चाहे तो फूंक से पहाड़ को उड़ा दे।" २४०