पृष्ठ:सोना और खून भाग 1.djvu/२४२

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और चौथी हुक्का लिए खड़ी थी। चारों खवास कमसिन-सुन्दरी और बहुमूल्य वस्त्राभूषणों से सज्जित थीं। कायदे के मुताबिक मुसाहिबों को • इन की ओर आँख उठा कर देखने का नियम न था। क्यों कि इस बात का कुछ ठीक ठिकाना न था—कि उनमें से कोई एक कब बादशाह की बेगम बन जाय । परन्तु ये अंग्रेज़ शैतान यह बात भी भली भाँति जानते थे कि जहाँ दो चार पैग क्लारेट बादशाह के पेट में गए कि फिर किसी सावधानी की आवश्यकता नहीं है। इस समय तो बादशाह खूब गड़गप हो रहे थे । अतः काना नाई एक खवास से बड़ी देर से आँखें लड़ा रहा था । और अब उसने अवसर देख कर खवास से बातें भी करनी शुरू कर दी थी। बातें बहुत धीरे-धीरे हो रहीं थीं, पर बादशाह ने एक शब्द सुन लिया-'बेगम,' उन्होंने चौक कर कहा--"क्या कहा ? तुम लोग बेगम की बावत गुफ्तगू कर रहे हो।" खवास की रूह फ़ना हो गई। पर हज्जाम ने कुर्सी से उठ कर कहा--"नहीं योर मैजेस्टी, कोई बात नहीं थी।" "झूठ बोलते हो खाँ साहब, हमने अपने कानों से सुना-तुम ने बेगम का नाम लिया था।" हकीकत यह थी कि हज्जाम ने बेगम के लिए कई लाख का विलायती माल मंगाया था, जिसमें उसने खूब लूट खसोट की थी। खवास उसमें हिस्सा मांग रही थी और बेगम से कह देने की धमकी दे रही थी। बादशाह कुर्सी से उछल कर खड़े हो गए। उन्होंने आपे से बाहर हो कर कहा--"बोल, क्या बात है।" नाई बड़ा प्रत्युत्पन्नमति था । उसने कहा--"प्रालीजाह खाना खाकर आरामगाह में तशरीफ ले चलें, वह बात जो दरहकीकत बहुत बुरी है। और तखलिए में कहने योग्य है । मैं हिजमेजेस्टी की सेवा में अर्ज कर दूंगा। बादशाह ने कसी हुई मुट्ठी में हज्जाम का हाथ पकड़ लिया। उसने २४६