वे पूरी बहादुरी दिखाने लगे। बहुत से परिवार उनके अत्याचार से बचने को नेपाल राज्य की सरहद में जा बसे, खेत सूखने लगे, गाँव उजड़ गए, पर महदी अली खाँ की नजर रुपया एकत्र करने पर थी। उसके कड़े आदेश जाते थे, और रुपया भेजो, और रुपया भेजो। इस पर राजा दर्शनसिंह को और भी जुल्म करने पड़ते थे. फिर भी रुपया पूरा जमा नहीं हुआ। महदी अली ने राजा दर्शनसिंह को अपनी कचहरी में बुला कर उससे जवाब तलब किया। "राजा साहब, मुल्के जमानिया आप से सख्त नाराज हैं, फरमाइए, क्यों न आपको बर्खास्त कर दिया जाय।" "मुल्के जमानिया की बात छोड़िए, आप खुद यदि नाराज हैं तो मुझे बर्खास्त कर दीजिए।" "यह आप से किसने कहा ? मैं तो नाराज नहीं हूँ।" "तो मुल्के जमानिया के नाराज होने का क्या बाइस है ?" "उनके पास मुक़दमात पहुँचे हैं, बड़े संगीन मुक़दमे हैं।" "आखिर कैसे ?" "यह कि लगान-कर वसूल करने के लिए आपने सब जमीदारों और तालुकेदारों की औरतों तक को अपनी माल कचहरी में नंगा करके रक्खा। आप तो जानते ही हैं, कि औरतों को नंगा करना और उन से मार-पीट करना ये फिरंगी बिलकुल नहीं पासन्द करते । इसलिए जब रेजीडेन्ट मेजर वेली के पास ये शिकायतें पहुँची तो उन्होंने मुल्के जमानिया को डांट- फटकार की। वह बदमाश अंग्रेज वैसे भी बिगड़े दिल हैं । मुल्के जमानिया उससे बहुत डरते हैं- उस दिन उसने अपनी औरत को बादशाह से ला भिड़ाया और पचास हजार का कण्ठा वह ठड्ढो मार ले गई। फिर भी मेजर ने बादशाह की जरा भी मुरव्वत नहीं की। और उसके तथा दूसरे नौकरों के सामने मुल्के जमानिया को लालत मलामत दी। मुल्के जमानिया तभी से सख्त नाराज हो रहे हैं। आप जानते ही हैं-उन्होंने नवाब आगामीर और दीवान राजा रामदयाल को कैद कर लिया है।"
पृष्ठ:सोना और खून भाग 1.djvu/२६०
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