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पृष्ठ:सोना और खून भाग 1.djvu/२८५

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कर कहा-साला बदज़ात, बिना ही सरकारी टैक्स अदा किए सब रकम कमर में बांधे लिए जा रहा है। लड़का चिल्लाने लगा-ताऊ दौड़ना- दौड़ना, इन्होंने ने सब रुपए छीन लिए, ये गेहूँ के बोरे लिए जा रहे हैं। लड़के के रिश्तेदार और आढ़ती के आदमियों ने आकर बोरे रोक दिए। और चकलेदार से रुपया तलब किया तो चकलादार ने तहसीलदार से कहा--दुहाई सरकार, ये सब बदमाश डाकू सरकारी काम में दखल देते हैं, सरकारी कुर्क माल को छीनना चाहते हैं । इस पर तहसीलदार ने सब को गिरफ्तार करने का हुक्म दिया। तुरन्त सब की मुश्कें कस ली गई इस पर बहुत भीड़ इकट्ठी हो गई और मार-पीट होने लगी।

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चौधरी की विपत्ति जिस समय मुक्तसर के बाजार में यह सब घटना, लूट-खसोट हो रही थी उसी समय बड़ेगाँव के छोटे मियाँ-अहमद बदहवास उनके पास पहुंचे। उन्होंने कहा-"चाचाजी, ग़जब हो गया । कम्पनी सरकार के आदमी अब्बा हुजूर को गिरफ्तार कर के ले गए हैं। उन्होंने उन्हें मेरठ जेल में 'टूंस दिया है । इसके अलावा घर का सारा असबाब कुर्क करके घर में सरकारी ताले जड़ दिए हैं।" चौधरी अभी मरण-शैया पर थे। वे हड़बड़ा कर उठ बैठे। उन्होंने छोटे मियां को ढारस दी और कहा-"घबराओ मत, खुलासा हाल कहो, मामला क्या है।" छोटे मियां रो उठे। रोते-रोते उन्होंने कहा-"क्या कहूँ, सखावत अब्बा को खा गई। मालगुजारी अदा नहीं हुई, वह रुपया जो आपसे लिया था-कल्लू भंगी की लड़की की शादी में खर्च हो गया। माल- गुज़ारी अदा करने के बन्दोबस्त में अब्बा परेशान थे ही कि यह क़यामत २८६