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पृष्ठ:सोना और खून भाग 1.djvu/८५

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भरोसे मैं राजधानी छोड़ कर यहाँ रक्त में स्नान कर रहा हूँ।" “श्रीमन्त, उस गुनाहगार ने केवल यही नहीं-कि तीस लाख रुपया अंग्रेजों से घूस में लिया है, उसने ईस्ट इण्डिया कम्पनी से एक सन्धि भी कर ली है। और इसी सिले में श्रीमन्त की रियासत का एक बड़ा हिस्सा जागीर में पाया है। यह बात यद्यपि बहुत पोशीदा रखी गई है---परन्तु मेरे जासूसों ने सही खबर दी है।" "बस, या इस आतताई डाकू की कुछ और भी कीर्ति बखानने को शेष है ?" "और भी बात है सरकार । उसने अंग्रेजों के इशारे से पिण्डारियों का एक भारी दल संगठित किया है । जो उसी के संकेत से श्रीमन्त के इलाकों तथा अंग्रेज़ी इलाकों में इस क़दर लूट-मार और बलात्कार तथा प्राग लगाने की सरगर्मियां कर रहे हैं, कि लोग त्राहिमाम् त्राहिमाम कर रहे हैं।" होल्कर टहलते-टहलते रुक गया। उसने जलती हुई अपनी एक आँख उस सरदार के मुख पर जमा कर पूछा- "अंग्रेज़ी इलाक़ों पर क्यों।" "इसलिए, कि अंग्रेजों के दुराचार और लूट-मार से अंग्रेजी रियाया में बेचैनी फैल रही है उससे कहीं रियाया बिगड़ न उठे। इसी से उसे निरन्तर मुसीबत में उलझाए रखने के लिए । परन्तु सरकार, बात और भी गम्भीर है।" "वह भी झटपट कह डालो।" "अंग्रेजों की सलाह से अमीरखाँ ने जो पिण्डारियों का यह बड़ा दल खड़ा किया है, उस का उद्देश्य यह भी था कि मराठा शक्ति के मुक़ाबिले एक समान दूसरी शक्ति तैयार रहे; जिसे चाहे जब, मराठा शक्ति को खत्म करने और उसके बाद देश पर दखल करने में काम में लाया जाए।" "तो यह मैं झूठ ही सुन रहा हूँ कि अंग्रेज पिण्डारियों के दमन के लिए फौजें इकट्ठी कर रहे हैं ?" 55