पृष्ठ:सोमनाथ.djvu/१०५

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सेवक हूँ।” "इसमें क्या सन्देह है? अब महाराज?" “उनसे महारानी बा, आप ही निबटिए। यह अन्त:पुर का मामला है।" “क्या उन्हें बन्दी कर लिया जाए?” रानी ने धीरे से कहा। “यह तो अस्वाभाविक है महारानी माता। महाराज को अन्त:पुर में बन्दी करने का कुछ अर्थ ही नहीं। प्रजा में तुरन्त विद्रोह उठ खड़ा होगा। महाराज के बन्दी करने का कोई कारण हम बता ही न सकेंगे।" "तब दुर्लभ प्रकट में सेना लेकर महाराज को बन्दी कर ले?" “यह भी खतरनाक योजना है। सेनापति बालुकाराय हमारे हाथ में नहीं है। वह खून ही नदी बहा देगा। हमारी सारी योजना छिन्न भिन्न हो जाएगी।" वीकणशाह ने कहा। "तब?" रानी ने कहा। “यह काम तो बालचन्द ही पार कर सकता है, दूसरे की सामर्थ्य नहीं।" वीकणशाह ने मुस्कराकर कुटिल हास्य हँसते हुए कहा। बालचन्द खवास ने हाथ मलते हुए कहा, “महारानी कहें तो मैं इनका आज्ञाकारी महारानी दुर्लभदेवी काँप गईं। उन्होंने बात का मर्म समझकर कहा, “क्या कोई दूसरा उपाय नहीं है?" “नहीं, महारानी, यह राजतन्त्र है। इसमें जीवन का कुछ भी मूल्य नहीं।" वीकणशाह ने होंठ टेढ़े कर कहा, “आप यह अवसर चूकीं तो चूकीं। महाराज तो भोर के दीपक हैं, आज गए तो, कल गए तो, और फिर वल्लभदेव और भीमदेव हैं। आपको और महाराज दुर्लभदेव को तो फिर दासता ही भोगनी है।" “यह तो कभी नहीं हो सकेगा, बीकण!" "तो महारानी बा, साहस कीजिए। जो काम आपका है, उसे भुगताइए।" "तौ मैं अपना काम करूँगी। बालचन्द, तू क्या कहता है?" उन्होंने भेदभरी नज़र से खवास की ओर देखा। "महारानी बा, मेरे पास सब-कुछ है, यह देखिए।” उसने वस्त्र से एक छोटी-सी पोटली निकालकर दिखा दी। “मुझे केवल मेरा पारिश्रमिक मिलना चाहिए। और चम्पकबाला का सहयोग।” खवास ने लुब्ध दृष्टि से चम्पकबाला की ओर देखा। रानी ने उसी समय अपना कंगन उतार कर उस पर फेंक दिया। कहा, “पचास हजार दम्म का है, परन्तु काम प्रभात ही में होना चाहिए। विलम्ब का काम नहीं।” रानी ने कहा। “विलम्ब क्यों?" खवास ने तृषित नेत्रों से कंगन को देखा, और हर्षित हो वस्त्रों में छिपा लिया। फिर चम्पकबाला की ओर अभिप्रायपूर्ण दृष्टि से देखा। रानी ने कण्ठ से मोतियों की माला निकालकर चम्पकबाला को देकर कहा, “तू डरती तो नहीं?" चम्पकबाला ने कहा, “सब हो जाएगा रानी बा।" जैन यति ने पूछा, “बालचन्द, तेरा काम कब तक पूरा हो जाएगा?" “दोपहर तक भोजन-काल में।" “और चौहान, महाराज दुर्लभदेव कब तक पाटन पहुँच जाएँगे?"