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पृष्ठ:सोमनाथ.djvu/१०६

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“यदि इसी समय मैं चल दूं तो कल तीसरे पहर तक।" "ठीक है। राजमन्त्री, भीमदेव और वल्लभ?" "उन्हें मैं सूर्योदय से प्रथम ही बन्दी कर लूँगा।" यति ने कुछ सोचकर कहा- "अच्छी बात है, और राजकोष?" “इसके लिए विमलशाह को वश में करना होगा।" “मैं भोर ही विमलशाह के पास जाउँगा।” जैन यति ने कहा। "सब ठीक हो गया! अब महारानी बा, यह लेख है, इसमें लिखा है, 'महाराज दुर्लभ निस्सन्तान हैं, वे अपने भतीजे नान्दोल के अनहिल्लराज के राजकुमार बालाप्रसाद को गोद लेते हैं, और उन्हें पाटन का उत्तराधिकारी नियुक्त करते है।' लीजिए, इसपर सही कीजिए और अपनी मुद्रा मुझे दीजिए, कि मैं अभी नान्दोल को प्रस्थान करूँ।” रानी ने काँपते हाथों से सही कर दी, और राजमुद्रा भी उसे दे दी। इसके बाद सभा भंग हुई और सावधानी से सब-कोई बाहर आए।