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पृष्ठ:सौ अजान और एक सुजान.djvu/१०७

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सौ अजान और एक सुजान

नहीं है, सिर्फ इतना ही कि वह भी कभी-कभी बाबू साहब के यहाँ आया-जाया करता है। मुझे तो यह भी खबर नहीं है कि वह कौन-सा काम है, जिसके लिये आप मुझे और बुद्धदास को इस वारेट में गिरफ्तार करते हैं।

दारोगा–जी हॉ, आप कुछ नहीं जानते, आप तो कोई मुनरिख हैं।खैर, मुझे इससे क्या ग़र्ज़ है, मुझे तो अदालत के हुक्म का तकमीला करने से ग़र्ज़ है।आप वहीं जाकर अपनी सफाई कर लेना। लो, इसके हाथ में हथकड़ियॉ छोड इसे ले जाओ, मै अब उन दोनो के तलाश में जाता हॅू।


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अठारहवाँ प्रस्ताव

पानी में पानी मिलै, मिलै कीच में कीच।

सवेरे की नमाज से फारिरा हो अफीम के नशे के झोंक में ऊॅघते हुए कोतवाल साहब कुर्सी पर बैठे सोच रहे हैं "कोतवाली का भी क्या ही नाजक काम है। उधर शहर के आवारा और बदमाशों को दाव में रखना, और उनके जरिए मतलव भी निकालना, इधर रईसों पर भी चाप चढ़ाए रहना, ऐसा कि जिसमें कोई उभड़ने न पावे। जट से मैजिस्ट्रेट तक सबको अपनी कारगुजारी से खुश रखना और उनके खयाल में सुखरुई हासिल किए रहना कितना मुश्किल काम है। सुबह से शाम तक ऐसे-ऐसे