सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:सौ अजान और एक सुजान.djvu/१११

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
११०
सौ अजान और एक सुजान

छोटा आदमी भी न करेगा। उस जाली दस्तावेज़ में आप का भी दस्तखत है। सच वतलाओ, तुमने किस तरह उस पर दस्तखत किया। आप तो कानून से भी वाकिफ हैं, अदालत की बातों को अच्छी तरह समझते हैं, तब, मालूम होता है, इसमें कुल शरारत आप ही की है।

नंदू–हुजूर, जब वह दस्तावेज़ जाली है, तब मेरा दस्तखत भी जाल से बना लिया गया, तो इसमें अचरज क्या है।

कोतवात–खैर, तुमने भी यकरार किया कि दस्तावेज जाली है, और यही तो मेरा मतलब है। (नकीअली से) अच्छा, इसे ले जाओ, पहरे में रक्खो। उन दोनो को भी आ जाने दो, तो जो कुछ कार्रवाई होगी की जायगी।


___________

उन्नीसवाँ प्रस्ताव

विपदि सहायको बन्धुः।[]

निशा का अवसान है। आकाश मे दो-एक चमकीले तारे अब तक जुगजुगा रहे हैं। अरुणोदय की अरुणाई से पूर्व दिशा मानो टेसू के रंग का वस्त्र पहने हुए दिननाथ सूर्य की अगवानी के लिये उद्यत-सी हो अपनी सौत पश्चिम दिशा को ईर्ष्या-कलुषित कर रही है। लोग जागने पर रात के सन्नहटे को हटाते हुए अपने-अपने काम में लगने की तैयारी करते सब ओर कोलाहल-सा मचाए हुए हैं। कोई सवेरे उठ भगवान्


  1. जो विपत्ति मे सहायता करे ,वही बंधु है।