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पृष्ठ:सौ अजान और एक सुजान.djvu/८७

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सौ अजान और एक सुजान

कसीर रकम मिलकर क्या होगी, इसे तो हम लोगों के हाथ में आना चाहिए। बाबुओं का रंग-ढंग देख घर की सब रकम बड़ी सिठानी ने दाब रक्खी, दोनों बाबू मॉ के मरने के वादे पर कर्ज ले-लेकर इन दिनों अपना काम चला रहे हैं। अब इतनी कसीर रकम एक साथ मिल जाने से, कुछ दिनों के लिये सुबीता हो गया। खैर, देखा जायगा। इसमें शक नही, आज मैं महीनों की कोशिश और तदबीर के बाद आखिर कामयाब हुआ।" इतने में उसे नींद आ गई. और वह सो गया।


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पंद्रहवाँ प्रस्ताव

नाधर्मश्चरितो लोके सद्यः फलति गौरिव।

शनैरावर्तमानस्तु कर्तुर्मूलानि कृन्तति॥ (मनु.)

अधर्म करने का फल अधर्मकारी को वैसा जल्दी नहीं मिलता, जैसा पृथ्वी में बीज बो देने से उसका फल बोनेवाले को थोड़े ही दिन के उपरांत मिलने लगता है। किंतु अधर्म का परिपाक धीरे-धीरे पलटा खाय जड़-पेड़ से अधर्मी का उच्छेद कर देता है।

अनंतपुर से आध मील पर सेठ हीराचंद का बनाया हुआ नंदन-उद्यान नाम का एक बाग है। हीराचंद के समय यह बारा सच ही नंदन-वन की शोभा रखता था । सब ऋतु के फल-फूल इसमें भरपूर फलते-फूलते थे । ठौर-ठौर सुहावनी लता और