शर्व॰--(चौंककर) इसका तात्पर्य्य?
भटार्क--(गम्भीरता से) तुमको महाबलाधिकृत की आज्ञा पालन करनी चाहिये।
शर्व॰--तब भी क्या स्वयं महादेवी पर नियंत्रण रखना होगा?
भटार्क--हाँ।
शर्व॰--ऐसा!
भटार्क--ऐसा ही।
(कोलाहल, भीषण उल्कापात)
भटार्क--ओह, ठीक समय हो गया! अच्छा, मैं अभी आता हूँ।
(द्वार खोलकर भटार्क भीतर जाता है)
(रामा का प्रवेश)
रामा--क्यों, तुम आज यहीं हो?
शर्व॰--मै, मैं, यही हूँ; तुम कैसे?
रामा--मूर्ख! महादेवी सम्राट को देखना चाहती हैं, परन्तु उनके आने में बाधा है। गोबर-गणेश! तू कुछ कर सकता है?
शर्व॰--मैं क्रोध से गरजते हुए सिंह की पूँछ उखाड़ सकता हूँ, परन्तु सिंहवाहिनी! तुम्हे देखकर मेरे देवता कूच कर जाते हैं!
रामा--(पैर पटककर) तुम कीड़े से भी अपदार्थ हो!
शर्व॰--न न न न, ऐसा न कहो, मै सब कुछ हूँ। परन्तु मुझे घबराओ मत; समझाकर कहो। मुझे क्या करना होगा?
२९