पृष्ठ:स्टालिन.djvu/१०४

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१० ट्रॉट्स्की और चतुर्थ अन्तर्राष्ट्रीय ट्रॉट्स्की का पूरा नाम लेना डेविडोविच प्रोस्टीन था। उसका जन्म सन् १८७७ में मध्य श्रेणि के एक यहूदी के यहां ओडेसा के पास बियालिस्टक नामक गांव में हुआ था। वह चीक यूनीवसिटी में अध्ययन करते समय ही क्रान्तिकारी आन्दोलन में शरीक हो गया। प्रारम्भ में वह मेनशेविक अथवा रूसी समाजवादियों के नरम दन का था, किन्तु बाद में वह अत्यंत उप विचार का हो गया। यहां तक कि सन १८९८ या १९०१ में उसको बार सरकार ने गिरफ्तार करके साइबेरिया में निर्वासित कर दिया। किन्तु वह वहां से भाग निकला और ट्रॉट्स्की के नाम से एक जाली पासपोट लेकर इंगलैण्ड जा पहुँचा । लेनिन और प्लेखानोव वहाँ पहिले से ही मौजूद थे । वह दोनों भी निर्वासित रूसी क्रान्तिकारी थे। उनके सम्पर्क से ट्रॉट्स्की के विचारों में स्थिरता एवं दृढ़ता आगई। १९०५ में रूस लौटने पर ट्रॉट्स्की पहिले मेनशेविक अर्थात् माडरेट क्रान्तिकारी दल का प्रधान बना, किन्तु बाद में वह लेनिन के नेतृत्व में बोल्योविकों (गरम दन) के साथ हो गया । १९०५ में जो राज्यक्रान्ति करने की आयोजना की गई थी, उसके सिलसिले में ट्रॉट्स्की को सेंट पीटर्स वर्ग की एक