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पृष्ठ:स्टालिन.djvu/१०५

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[एक सौ चार सभा का सभापतित्व करते समय गिरफ्तार कर लिया गया। अब की बार निवासित करके उसको टोबलुस्क भेजा गया, किन्तु वह वहां पहुंचते ही वहां से भाग निकला और विएना पहुंचा, जहां उसने प्रवदा आदि अनेक समाचार पत्रों में काम किया। १९०५ से लेकर १६१४ तक वह यूरोप के अनेक देशों में रहा। जहां २ वह रहा वहीं २ उसने क्रान्तिकारी संस्था का संगठन किया। १९१४-१८ का यूरोपीय महायुद्ध छिड़ते समय वह जर्मनी में था। इस समय उसने युद्ध के कारणों पर एक किताब लिख कर उसमें कैसर की सरकार की वीब पालोचना की। इस पर उसको गिरफ्तार करके पाठ महीने के लिये जेल भेज दिया गया। जेल से छुटने पर वह जर्मनी छोड़ कर फांस पहुंचा। वहां भी उसने एक लेखमाला में फेंच सरकार की जर्मनी के विरुद्ध युद्ध में संलग्न होने के लिये भर्त्सना की। इसपर उसको फ्रांस से निर्वासित किया गया। फ्रांस से निर्वासित होकर उसने स्पेन जाने का यल किया, किन्तु इसमें उसको सफलता नहीं मिली। अंत में वह अमेरिका गया, जहां उसने १९१६ से लेकर १९१७ तक 'न्यू वर्ल्ड' नामक पत्र का सम्पादन किया। इस बीच में वह रूस के बोल्शेविक दल को भी षराबर सहायता पहुंचाता रहा। १६१७ में रूस में राज्यकासि भारम्भ होने पर उसने रूस लौटने का यत्न किया। किन्तु वहां से आते हुए कैनाडा के हैलीफैक्स नामक स्थान पर उस को ब्रिटिश अधिकारियों ने गिरफ्तार करके नजरबन्द कर दिया और रूस को अस्थायी सरकार की प्रार्थना पर उसको छोड़ा गया। वह लेनिन के रूस आने के कुछ समय बाद ही पेट्रोप्रेड पहुंचा। १९१७ में वह नेनिन की बोल्शेविक पार्टी में सम्मिलित हो गया। अब उसने ऐसे २ महत्वपूर्ण कार्य किये कि इतने