पृष्ठ:स्टालिन.djvu/१०८

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एक सौ सात] छोड़ कर फिर देखना नसीब नहीं हुआ। टी की सरकार ने भी उसको कुछ समय के बाद अपने यहां से निकाल दिया । इसके पश्चात् उसको बड़ी कठिनता से स्पेन में रहने की अनु- मति मिली । किन्तु उसको यह स्थान भी छोड़ना पड़ा। यूरोप का कोई राष्ट्र इस भीषण क्रान्तिकारी को स्थान देने को तयार नहीं था। अन्त में सन् १९३६ में उसको अमेरिका के मैक्सिको देश में रहने की स्वीकृति मिली। किन्तु षड्यंत्र उसके पीछे वहां भी चलते रहे। कई बार उसके प्राण लेने का यत्न किया गया। किन्तु वह बराबर बचता रहा।ट्रॉट्सकी इस समय भी बराबर प्रन्य लेखन का कार्य करता रहा। ट्रॉटकी के भूमण्डल में अनेक अनुयायी हैं। उन्होंने स्टालिन की तृतीय अन्तराष्ट्रीय की स्थापना की। जून १६४० में ट्रॉटस्की के मकान पर एक संगठित आक्रमण किया गया। उस समय मशीनगनों को सैकड़ों गोलियां उस में गिरी। इस बीच में फांक जान्सन एक फच यहूदी ट्रॉट्की के सिद्धान्तों पर मोहित होकर मैक्सिको आया । उसका जन्म तेहरान में हुआ था और वह बेल्जियम के एक राजनीतिज्ञ का पुत्र था। जान्सन ने प्रांस और संयुक्त राज्य अमेरिका में ट्रॉटस्को के आन्दोलन का प्रचारक बन कर ट्रॉटस्की का विश्वासे प्राप्त किया । जानसन २० अगस्त १९४० को वीसरे पहर ट्रॉदस्की से उसके मकान के बाहिर सहन में मिला। उससे उसको अपना लिखा एक लेख दिखलाकर उसका मत जानना चाहा । इस पर ट्रॉद्रकी उसको अपने कमरे में लिवा ले गया। पीछे चलते समय उसने ट्रॉट्स्की के सिर पर पीछे से हथौड़ा मारा ट्रॉदस्की चोट लगते ही चीन मार कर गिर पड़ा, जिससे उसके कंधे तथा घुटने में भी चोट लगी । जान्सन ने गिरनेपर भी उस पर पार करना जारी रखा। चीख की आवाज सुनते ही