पृष्ठ:स्टालिन.djvu/१६

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पन्द्रह] [*** लड़के तो मारे भय के उस से चार आंखें करते हुए भी घबराते थे। यही कारण था कि छोटो पायु में ही उसने अपना एक प्रशंसक दल बना लिया था, जो उसे भरना अधिनायक समझता और उसका हार्दिक मान करता था। वह उन्हें अपनी देख रेख में विभिन्न स्थानों पर ले जा कर लूट खसोट मचाता ओर बाल्य- काल को आवश्यक वस्तुएं बिना मूल्य उड़ा लाता था। वह शरीर से दुबला पतला और आकृति में प्रारम्भ से हो अरुचिकर सा था। इस छोटो मो आयु में हो उसको चमकदार अांखें इस बात का परिचय देती थीं कि इस निर्बल शरीर में अटल संकल्प-शक्ति और असाधारण हद इच्छाएं निहित हैं। गोरी ग्राम के वृद्ध किसानों को वह समय अब तक याद है जब कि ग्राम के आवा- रागर्द लड़के सोसो को आज्ञानुकूल युद्ध का खेल करते हुए प्राम को सोमा के बाहर घास के ढेरों को आग लगा दिया करते थे। इस प्रकार के अवसरों पर सोसो भौर उसके साथी सैनिक के कर्तव्य का पालन करते हुए बारूद का प्रयोग करने में भी नहीं हिच- कते थे। यह केवल सौभाग्य को बात हो होतो था कि आग सारे ग्राम को भस्म करने के स्थान पर केवल पास के डेरों या अन्न- भण्डारों तक ही सीमित रहती थी। जैसा कि ऊपर कहा गया है सोसो छोटी आयु से ही असोम उद्धत और अभिमानो लड़का था। उसका पिता-जो मोची भी था और किसान भी-दिन रात कठोर परिश्रम करता था और फिर भी अपने छोटे से परिवार की आवश्यकता-पूर्वि में असमर्थ था। खाली समय में जब कभी उसका ध्यान इस उद्धत लड़के की ओर जाता तो वह पाश्चर्यचकित होकर सोचता कि इसका भविष्य क्या होगा और उसका जीवन किन परिस्थितियों में व्यतीत होकर अन्त में किस परिणाम पर पहुंचेगा?