पृष्ठ:स्टालिन.djvu/२६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

पचीस] [*** लगे हैं, बल्कि क्रियात्मक रूप से उसका वाहिष्कार भी करने लगे हैं। अध्यापक मण्डल उसे नेक लड़का कहता और उसे भादशे के रूप में अन्य लड़कों के समक्ष प्रस्तुत करता था। यही कारण था कि शेष लड़के गुप्त रूप से उससे घृणा करते और उसे बुरो दृष्टि से देखते थे। पूर्वोक्त तलाशी के पश्चात् तफलस की पुलिस उस शिक्षणालय के दो ऐसे विद्यार्थियों को गिरफ्तार करके ले गई, जिनके कमरों में क्रान्तिकारी साहित्य पाया गया था। इस घटना पर जोजेफ की आत्मा में एक महान परिवर्तन हुआ। जब पुलिस कर्मचारी उसके गिरफ्तार हुए साथियों को बँचते हुए ले गई तो वह पाठशाला के आँगन मे से देख रहा था। उस समय उसने यह भी देखा कि अन्य विद्यार्थी यद्यपि चुपचाप थे, किन्तु अपने मित्रों की करुणाजनक दशा देखकर उनकी आंखों से बिजली सी निकलने लगी थी, ओष्ठ कठोरतापूर्वक बन्द थे और उनकी अवस्था ठीक ऐसी प्रतीत होती थी जैसी कि लोहे के सीखचों के पिजरे में बन्द किसी हिसक पशु की होती है। मनुष्य जीवन में बहुत से परिवर्तन आते हैं। मनोवृतियों में भान्ति २ के परिवर्तन होते रहते हैं। कौन कह सकता है कि आज का साधु स्वभाव लड़का युवावस्था में पदार्पण करने पर किसी और ही लहर की ओर झुक जावेगा ? जोजफ में एक परिवर्तन तो नस समय हुआ था, जब उसे धामिक शिक्षणालय में भरती किया गया था। उसमें दूसरा परिवर्तन उस दृश्य के उपस्थित होने पर हुआ जबकि उसके मित्र गिरफ्तार हो रहे थे। यह दूसरी वार का परिवर्तन ऐसा था जिसने साधु-स्वभाव जोजेफ के हृदय में वही पुरानी लड़ाकू और झगड़ालू स्पिरिट को जाग्रत कर दिया। कहने का तात्पर्य यह है कि कठोरता, अशान्ति और "