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बयानीस रवाना होता तो एक मछली पकड़ने का जान लेता और उसमें एक ताजा पकड़ो हुई मछली रख लेता । इससे यह नाम था कि यदि खुफ़िया पुलिस का कोई कर्मचारी उस नाव को देखता और उसे उसमें संदेहपूर्ण सामान दृष्टिगोचर होता तो जोजेफ सहज ही कह देवा "मैं तो एक दरिद्र मछियारा हूं। मछली पकड़ना मेरा व्यवसाय है। जाल डाला था उसमें यह वस्तु भो आगई । इसमें मेरा क्या अपराध है ?" यह उत्तर प्रत्येक प्रकार से पर्याप्त होता, किन्तु आपाखाना चनाने के लिये कोई सरल उपाय दंडना सरल कार्य न था, तौ भी बातूम के एक निर्जन स्मशान में जमीन के नीचे इस श्रेणी ने समुद्र से निकाले हुए बएडजों को सहायता से एक बड़ा बापाखाना स्थापित कर हो लिया, उसमें प्रकाशन-कार्य निरंतर चालू रहता था। जब वह इस मुद्रणालय को सहायता से पहला पत्र छापने में सफल हो गया ता युवक जोजेफ को प्रसन्नता को कोई सोमा न रही । अपनी इस सफलता पर उसे इतनी अधिक प्रसन्नता हुई कि वह इस प्रसन्नता के चक्कर में आवश्यक सावधानी न रख सका जो उसके अब तक के कार्यों का रहस्य थो। अतः जब पुलिस के आदमो दूसरे हो दिन प्रातः उसके मकान पर पहुंचे तो उन्हें उसके कमरे में बहुत से ताजा छपे हुए गोले कागज प्राप्त हो गए।ऐसे जबर्दस्त प्रमाणों को विद्यमानता में सभी प्रकार के इंकार अथवा आपत्तियां व्यर्थ थीं। भागने की भी कोई सूरत सम्भव न यो। परिणाम यह हुआ कि पुलिस के कर्मचारियों ने उसे हथकड़ो डाल दो और जोजक उनके साथ चलने पर विवश हो गया। इस स्थल पर जोजफ का वह हुलिया जो पुलिस ने