पृष्ठ:स्टालिन.djvu/४४

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संतालीस] { *** उसकी प्रथम गिरफ्तारी पर अपने कागबात में लिखा था दे देना रोचक होगा- कद २ अर्चन ४॥ दरशोक, शरीर-रचना दर्मियाना, भायु २३ वर्ष, विशेष चिन्ह बायें पैर की दूसरी और तीसरी अंगुलियां परस्पर संयुक्त, कान साधारण,बाल स्याही लिये हुये भूरे, दादी भूरी, मुझे टेढ़ी, नाक लम्बी और सीधी, मस्तक सीधा और दलवां, चेहरा गोल चेचक के दारा वाला, अन्त में उसका नाम पूरे ब्योरे के साथ छपा था-जोजफ वसारिया नोविच जोगाशली, उपनाम सोसो। युद्ध से पूर्व रूस को जो परिस्थिति थी उसमें जिस व्यक्ति के यह चिन्ह हों उसका नाम तुरन्त काली सूची में लिख लिया जाता था। यही कारण है कि स्टालिन ने अपने लम्बे क्रांतिकारी जीवन में पहलो गिरफ्तारी के बाद अपना असली नाम प्रयुक्त नहीं किया । रूसी पुलिस ने इस अवसर पर असाधारण सफलता प्राप्त की थो । किन्तु उसको सही परिस्थिति का बहुत समय पश्चात् उस समय ज्ञान हुआ जब क्रांति की समाप्ति पर क्रान्तिकारियों को पुलिस की मिसलें देखने का सुअवसर प्राप्त हो चुका। उस समय ज्ञात हुआ कि जोजेफ की गिरफ्तारी केवल श्वकाकिया न थी, न ही पुलिस ने अचानक उसके रहने का गुप्त स्थान जान लिया था ।बल्कि चार काल में पुलिस का प्रबंध अत्यधिक व्यवस्थित था । जिस समय जोजेफ ने अपना कार्य क्षेत्र तफलस से बातूम को बदन दिया तो स्थानीय पुलिस ने अपना एक कर्मचारी पासवाने होटल में दाखिल कर दिया जो इस क्रान्तिकारी की प्रत्येक गतिविधि का अवलोकन करता रहता था। डेढ़ साल कैद रहने के बाद जोजेफ को तीन वर्ष के लिए