पृष्ठ:स्टालिन.djvu/५२

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। [*** मैं मैसीडोन के क्रान्तिकारियों की सहायता से बल्गेरिया राज्य से इस बात की अनुमति प्राप्त करने में सफल होगया कि अपना सामान वर्ना लेजा सकू। वहां से मैं इन वस्तुओं को अरमन विद्रोहियों की सहायता से आर्मीनिया भेजने को समर्थ हुआ, जहां उस समय तुकों का राज्य था।" "मैं इस सामग्रो को जहाज पर लाद कर रूसी तट पर ले जाना चाहता था, जहां हमारे साथी क्रान्तिकारी नावे लिये हमारी राह तक रहे थे । किन्तु अब यह कठिनता उत्पन्न हुई कि वल्गेरिया में ऐसा स्ट्रीमर नहीं खरोदा जा सका, जिस पर यह माल लाद कर भेजा जा सकता। विवश हो मुझे फ्यूम (इटली) जाना पड़ा, जहां मैने तीस हजार फांक में एक अमरीकन जहाज की सेवाएं प्राप्त की। मैंने इस अवसर पर सावधानतापूर्वक अपने व्यक्तित्व को पूरी तरह से छिपाये रक्खा । मै प्रत्येक अवसर पर अपने आपको मकदूनिया का एक व्यापारी प्रगढ करता रहा। इस प्रकार हम युद्ध सामग्री को जहाज़ पर लाद कर रूस के वट की ओर रवाना हुए। इन उद्धारणों को पढ़ कर उन युद्ध-घटनाओं का चित्र उपस्थित हो जाता है जिनमें से सन् १९०५ के क्रान्ति के व्यवस्थापकों को गुजरना पड़ा था। तथापि यह क्रान्ति सफल न हुई। रक्त की नदियां बह चलीं, किन्तु उद्दिष्ट स्थान उतनो ही दूर रहा जितना कि वह पहले था। शनैः २ जब जार की सरकार १९०५ के क्रान्तिकारी प्रभावों से विमुक्त हुई तो उसने रूसी क्रान्तिकारियों के विरुद्ध एक भयानक युद्ध प्रारम्भ कर दिया। इस समय सहस्रों तथा लाखों आदमी निर्वासित करके साइबेरिया भेज दिये गए। कुछ कि ऐसे भी थे जो जान बचा कर विदेशों में जा छिपे। इस