पृष्ठ:स्त्रियों की पराधीनता.djvu/१३८

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वे विचार सौम्य प्रकृति वाले और निरुपद्रवी होते हैं; उन्हें यदि हद से ज़ियादा भी चिढ़ाया जाय तब भी वे अपने अधिकार का उपयोग कड़ाई से नहीं करते। स्त्रियों में जो पुरुषों को सताने का माद्दा होता है, उसका परिणाम यह होता है कि, एक ओर पुरुष जैसे स्त्रियों पर अत्याचार करता है, वैसे ही ऐसे घरों में स्त्रियाँ पुरुषों पर अत्याचार करती है। अधिकांश उन पुरुषों को ही स्त्रियों के अत्याचार सहने पड़ते हैं जो सर्वथा सीधी-सादी वृत्तिवाले होते हैं और कड़ाई करना जानते ही नहीं।

५-सत्ता के द्वारा मनुष्य को दूषित करने वाले जो परिणाम उत्पन्न होते हैं, उनकी संख्या इतनी अधिक होने पर भी व्यवहार में वे हमें क्यों नहीं दीखते? दूसरे शब्दों में, पुरुष के हाथ में अनियन्त्रित सत्ता होने पर भी संसार में इतनी भलमनसाहत क्यों दीखती है? यद्यपि स्त्रियों के हाव-भाव और बनाव आदि के सम्मोहक गुण कुछ व्यक्तियों के हृदयों पर विशेष असर करते हैं, फिर भी वर्तमान स्थिति के स्वरूप को एकदम बदल डालने की उन में शक्ति नहीं है, क्योंकि हाव-भाव कटाक्ष आदि की सत्ता तो तरुणाई तक ही होती है; और बहुत बार तो यह सम्मोहकता वहीं तक टिकती है जब तक मोहकता ताज़ी होती है,-और विशेष परिचय या अति निकट सम्बन्ध के कारण जब यह मोहकता नष्ट हो जाती है, तब उसकी सत्ता भी नहीं टिक सकती। और बहुत से