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पृष्ठ:स्त्रियों की पराधीनता.djvu/१३९

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पुरुषों को तो स्त्रियों का लावण्य या सुन्दरता मोहित कर ही नहीं सकती। इसलिए अधिकार का नैसर्गिक सौम्यता नीचे लिखे कारणों से प्राप्त हो सकती है। एक तो दम्पति में समय के अनुसार एक दूसरे के प्रति बढ़ता हुआ प्रेम,-पर इसके लिए यह ज़रूरी है कि पुरुष का हृदय प्रेमाङ्कुर के विकाश के अनुकूल हो, और स्त्री की प्रकृति उस अंकुर के पोषण करने की आदत हो,-दूसरे संतान के सम्बन्ध में दम्पति का सामान्य हित, इस ही प्रकार अन्य दुखी मनुष्यों के सम्बन्ध में उनके हित का ऐक्य, तीसरे पुरुष के प्रतिदिन के सुख, उपभोग और स्वास्थ्य के लिए स्त्री की आवश्यकता तथा अपने स्वार्थ और सुखके लिए जो कुछ वह स्त्री की क़ीमत समझता हो वह (जो पुरुष सहृदय अन्तःकरण वाले है उन में तो इसके परिणाम स्वरूप शुद्ध प्रेम की उत्पत्ति होती है।) और सब से अन्तिम निरन्तर निकट सहवास के कारण मनुष्य-मनुष्य में जो स्वाभाविक सहानुभूति होती है वह, क्योंकि निरन्तर निकट रहनेवाले मनुष्य यदि अभाव पैदा करने वाले या तिरस्कार करने वाले न हों तो, वे स्वामी की सत्ता पर इतना अधिकार प्राप्त कर लेते हैं कि, बहुत बार हमें भी वह हद से ज़ियादा और अनुचित मालूम होने लगता है। यह परिणाम उस ही स्थिति में रुक सकता है जब स्वामी का हृदय कठोर हो। इन अनेक साधनों के द्वारा स्त्रियाँ पुरुषों पर अधिकार करती हैं, और अनेक बार