सब से पहले यह नियम बना कि सती होने के लिए सरकारी आज्ञा ली जाय। सती होनेवाली स्त्री अपने होश-हवास में हो; उसे किसी प्रकार का मादक द्रव्य खिला कर या फुसला कर*[१] सती होने पर उद्यत न किया जाय। अँगरेज़ी प्रारम्भ काल में यही नियम था और इसकी तहक़ीक़ात पुलिस के द्वारा होती थी। किन्तु इस नियम के विपरीत कई बार ऐसा हुआ कि जब विचारी विधवा अग्नि के असह्य कष्ट से लौटी तब दूसरे लोगों ने उसे ज़बर्दस्ती चिता पर ढकेल दिया या उसके कपड़ो में ऐसे ज्वालाग्राही पदार्थ रख दिये कि चिता के पास जाते ही वे जल उठे और लोगों ने उसे सती कह कर चिता की ओर ढकेल दिया†[२]। उस समय तक कोई ऐसा कानून नहीं था जिससे हिन्दू सती को रोका गया हो। बल्कि हिन्दू-शास्त्रों के अनुसार ही हिन्दू सती को गर्भ आदि की दशा में रोका जाता था‡[३]। जिस सती होने वाली स्त्री का बालक तीन वर्ष से कम आयु वाला होता था, उसकी जवाबदारी और बच्चे की परवरिश का प्रतिज्ञापत्र घर वालों से लिखा लिया जाता था§[४]।
पृष्ठ:स्त्रियों की पराधीनता.djvu/१६
दिखावट