उस प्रश्न को हाथ में लेने से अधिक काम होता है। छोटे-मोटे सांसारिक व्यवहारों पर विचार करने से, बुद्धि का बहता हुआ प्रबल वेग मन्द पड़ जाता है और एक विषय से झट पलट कर दूसरे विषय में मन लगाने की शक्ति पैदा होती है-यह गुण बहुत ही कीमती है। स्त्रियों का मन चञ्चल होने के कारण उन्हें दोष दिया जाता है, किन्तु इस दोष के ही कारण उन में ऊपर वाला गुण विशेष होता है। सम्भवतः, यह शक्ति उन में स्वभावसिद्ध होगी, किन्तु यह तो निश्चित है कि शिक्षा और अभ्यास की सहायता से उन में यह शक्ति आई है। क्योंकि लगभग स्त्रियों के सभी व्यवसाय ऐसे हैं कि उन्हें छोटी-मोटी किन्तु विविध प्रकार की बातों को देख-रेख रखनी पड़ती है। इसलिए स्वतन्त्र विचार करने के लिए उन्हें एक पल भी नहीं मिलता-और इसके विरुद्ध एक ही समय में अनेक बातों का ख़याल रखना पड़ता है। यदि
किसी विषय पर अधिक समय तक विचार करने की आवश्यकता ही होती है तो विविध कामों से समय काटकूट कर वे उस पर विचार कर ही लेती हैं। बहुत बार तो ऐसे संयोग इकट्ठे हो जाते हैं, और काम को इतनी मारामारी होती है कि विचार करने के लिए जरा भी अवकाश नहीं होता; यदि कोई पुरुष ऐसी स्थिति में फँस जाय तो वह काम बिगाड़ कर यही कहे कि,-"मैं क्या करूँ, मुझे विचार करने की फुरसत ही नहीं मिली।" किन्तु ऐसी स्थितियों
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