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पृष्ठ:स्त्रियों की पराधीनता.djvu/२३६

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को समान स्वाधीनता है, उन में भी पुरुषों की अपेक्षा स्त्रियाँ पीछे क्यों रहती हैं, इसका जो कुछ कारण ऊपर दिखाया गया है उसके अलावा और भी कुछ कारण है। सब से पहले तो इन कामों में लगे रहने के लिए स्त्रियों के पास काफ़ी समय ही नहीं है। यह बात चाहे कुछ लोगों को अचम्भे की मालूम हो, पर सामाजिक निश्चित बात है। प्रत्येक स्त्री को अपने समय और विचार का सब से बड़ा हिस्सा तो अपने रोज़ के व्यवहार-कार्यों में खोना पड़ता है। प्रत्येक कुटुम्ब की एक स्त्री को अपने घरबार की दैनिक बातों पर पूरा ख़याल रखना पड़ता है-और विशेष करके जो स्त्री अनुभवी और बुद्धिमती होती है वही यह सब करती है। जिन घरों में यह काम नौकरों से लिया जाता है उनकी बात न्यारी है, पर घर की अव्यवस्था और खर्च की अधिकता भी इस में होती है। यह हो सकता है कि घर की देख-रेख और काम ज़ियादा मिहनत का न हो, फिर भी दिमाग़ पर तो इसका बोझ पड़ता ही है। उन्हें प्रत्येक समय सावधान और जागृत रहना पड़ता है, हर एक छोटी से छोटी बात पर ध्यान रखना पड़ता है, तथा प्रत्येक समय सोचे और बिना-सोचे लगातार इतने प्रश्न उपस्थित होते हैं कि उनके विचार और निश्चय में सब समय चला जाता है। इन बातों के कारण एक पल भी उसे सर्वथा स्वस्थ होने को नहीं मिलता। जिस स्त्री का रुपये पैसे के कारण इस बन्धन से कुछ छुटकारा