२५-अभी स्त्री-पुरुषों के मानसिक और बुद्धि-विषयक भेदों को एक और छोड़ कर केवल नैतिक भेदों के विषय में विचार करेंगे तो मालूम होगा कि स्त्रियाँ पुरुषों से अधिक उच्च हैं। लोग इस बात को अपने ही मुँह से स्वीकार करते हैं कि स्त्रियाँ अधिक नीतिमान् और सदाचार-सम्पन्न हैं। पर यह कह देना कोरी ऊपर की बातें बनाने के बराबर है, और ऐसी बातों को सुन कर जिन स्त्रियों में कुछ भी बुद्धि है उन के मन में तिरस्कार और खेद पैदा हुए बिना नहीं रहता। क्योंकि लायक़ आदमी के नालायक़ की तावेदारी में रहने की प्रथा अब संसार में कहीं नहीं है और इस तरह के सम्बन्ध को कोई भी मनुष्य अच्छा कहने के लिए तैयार नहीं है। पर स्त्री-पुरुष के इस प्रकार के सम्बन्ध को ही स्वभाविक कहते हैं। स्त्रियाँ पुरुषो से अच्छी हैं, यह कोरी मुँह से कहने की बात यदि किसी उपयोग में आसकती है तो सिर्फ इस ही में कि, सत्ता भोगते रहने के कारण पुरुष नीतिभ्रष्ट होते हैं और इससे यह सिद्ध होता है; क्योंकि स्त्रियाँ पुरुषों से विशेष सदाचार-सम्मन्न होती हैं। यदि यह बात सत्य हो तो इससे यही अनुमान निकलता है कि सत्ता के कारण पुरुषों की नीति शिथिल हो जाती है। यह चाहे जैसे हो, किन्तु संसार का यह एक बड़े लम्बे समय का अनुभव है कि ग़ुलामी की चाल जो कि नीति की दृष्टि से देखने पर ग़ुलाम और उनके स्वामी दोनों को हानि पहुँचाने वाली है, फिर ग़ुलाम की अपेक्षा
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