से इसका उपयोग जारी रक्खा कि जिस से वह सब से अधिक असरकारक हो और इसकी सैंकड़ों युक्तियाँ उन्होंने निकाल लीं। इस साधन के द्वारा स्त्रियों को सर्वथा अपने आधीन बनाये रखने के लिए पुरुषों ने उपदेश करना शुरू किया कि,-"यदि तुम्हें स्वामियों को अपने वश में करना हो, स्वामियों की दृष्टि में सबसे अधिक सुन्दरी दीखने की इच्छा हो, उन की प्रसन्नता प्राप्त करना चाहती हो तो तुम्हें नम्रता, सहन-शीलता, सन्तोष, भक्ति, पति में श्रद्धा, आज्ञाकारिणी बनना-आदि-आदि गुण सीखो। और किसी विषय में पति की इच्छा विरुद्ध न होकर उसकी इच्छा के अनुसार चलो।" ऐसे-ऐसे जिन अचूक साधनों के द्वारा पुरुषों ने स्त्रियों को पराधीन बनाया है, यदि इन्हीं साधनों का उपयोग ग़ुलामों पर किया जाता, तो मनुष्य-जाति जिस ग़ुलामी को उठा देने से विजयी बनी है-वह उठती या नहीं, इस में बहुत संदेह है। यदि प्रत्येक प्लीबीअन (Plebeian)*[१] युवा को यह शिक्षा दी जाती कि,-"अपने स्वामी की प्रसन्नता प्राप्त करना ही अपने जीवन का उद्देश है। अपना स्वामी अपने
- ↑ * रोम के प्राचीम इतिहास में दो प्रकार के मनुष्य हैं, एक पेट्रोशिअन दूसरे प्लीबीअन। पेट्रोशिअन राज्यधिकारी वर्ग था और इसने सब राजकीय अधिकार दबा लिये थे, तथा प्लीबीअन लोगों को इनकी ग़ुलामी में रहना पड़ता था। इसलिए दोनों में परस्पर झगड़ा चला ही करता था, किन्तु अन्त में प्लीबीअन लोगों की राजकीय अधिकार मिल गये थे।