पृष्ठ:स्त्रियों की पराधीनता.djvu/८६

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न होगा, और इस लिए अपने आप उससे हाथ खींच लेगा।

१४-यदि अर्थशास्त्र और व्यवहारशास्त्र का यह नियम सत्य न हो, प्रत्येक मनुष्य किस काम के योग्य है और किसके अयोग्य है इसका निर्णय उन व्यक्तियों की अपेक्षा गवर्नमेण्ट या उसके अधिकारी विशेष दक्षता से कर सकें, तो इस सिद्धान्त को जैसे बने वैसे लोग जल्दी से छोड़ देवें और उसी पुराने व्यवहार को काम में लावें। यदि यह बात सत्य हो तो सरकार प्रत्येक विषय के कानून बना डाले, और अमुक वर्ग के मनुष्य इस काम के योग्य है और अमुक वर्ग वाले अयोग्य-यही पुराना नियम फिर प्रचलित हो जाना अच्छा है। पर यदि इस सिद्धान्त के सत्य होने में हमारी दिल-जमई होगई हो, तो हमें अपने सभी विषयों में इसका प्रयोग करना चाहिए। और अमुक मनुष्य उच्चकुल में न उत्पन्न होकर नीचकुल में उत्पन्न हुआ, अथवा गोरे मा-बाप के पेट से न पैदा होकर काले रङ्ग वाले मा-बापों के यहाँ जन्मा, इसलिए वह जन्मभर कुछ नियमित नीच कार्य करने ही के लिए पैदा हुआ है, अथवा वह आमरण अमुक प्रकार के नीच सामाजिक अधिकारों का ही पात्र है, यह बात जैसी हमें अन्याय-भरी मालूम होती है, उसही प्रकार किसी मनुष्य प्राणी को लड़के का जन्म न मिलकर लड़की का जन्म मिला, केवल इतने ही कारण से उसके लिए यह निर्णय कर देना