पृष्ठ:स्त्रियों की पराधीनता.djvu/९१

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ज़माने में केवल स्थिति में जन्म होने के कारण यदि किसी को अधिकारों से वञ्चित किया जाता है तो वे केवल स्त्रियाँ ही हैं। इस उदाहरण के समान अचम्भे में डाल देने वाला उदाहरण और कोई नहीं दीख सकता। संसार भर की मनुष्य-जाति के आधे भाग को केवल जन्म के कारण अधिकारों के अयोग्य बताना कितने दुःख की बात है। स्त्रियों के विषय में पुरुषों का निश्चय किया हुआ प्रतिबन्ध इतना अनुल्लंघनीय है कि वे चाहे जितना परिश्रम करें, सम्पत्ति प्राप्त करें, चाहे जितनी विद्या सम्पादन करें, और चाहे जितनी ज्ञान और बुद्धि सम्पन्न हो, किन्तु उन्हें स्त्री-देह मिलने के कारण-वे किसी प्रकार अपनी नालायकी फेंक कर लायक बन ही नहीं सकती। जो मनुष्य राज्य को स्थापन किये हुए धर्म को नहीं मानते वे भी कुछ अधिकार और ओहदों के लिए अयोग्य समझ जाते हैं, किन्तु वे मनुष्य भी पीछे से अपने धर्म को बदल कर राज्य-धर्म को स्वीकार करलें तो उनके लिए फिर सब मार्ग खुल जाते हैं, अर्थात् पहले का धर्म-भेद भी जन्म-भर उनका मार्ग नहीं रोकता। तथा इंग्लैण्ड और योरुप के अन्य देशों में तो केवल धर्म-भेद के कारण अयोग्य समझने की प्रथा प्रायः उठ गई है, इसलिए इस समय केवल जन्म के कारण बड़े-बड़े अधिकारी के अयोग्य किसी को खोजेंगे तो केवल स्त्रियाँ ही मिलेंगी।

१६-इस बात से सब के ध्यान में आगया होगा कि वर्त-