पृष्ठ:स्वाधीनता.djvu/१९०

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चौथा अध्याय।

में, समाज को मदद देता है। इतनी हुकूमत करने पर भी—इतनी सत्ता हाथमें रखने पर भी—यह कहना समाजको हरगिज शोभा नहीं देता कि हमें आदमियों की उन खानगी बातों पर हुकूमत करने और अपने हुक्मों की तामील कराने का भी अधिकार मिलना चाहिए जिनके विषय में, न्याय और नीति के सब तत्त्वों की दृष्टि से, आखिरी निश्चय करना सिर्फ उन्हींके हाथ में होना मुनासिब है जिनको उन बातों का फल भोगना पड़ता है। आदमियों के आचरण को उन्नत करने के और अनेक अच्छे अच्छे साधनों के रहते भी जो लोग बुरे साधनों से काम लेना चाहते हैं वे अच्छे साधनों की उपयोगिता में भी सन्देह पैदा कर देते हैं। इससे बहुत हानि होती है और काम में बाधा आती है। जिन लोगों को समाज बलपूर्वक चतुर और संयमशील बनाने की कोशिश करेगा उनमें से यदि कोई स्वाधीन और उद्धत स्वभाव के होंगे तो वे समाज के इस अधिकार की धुरी को अपने कन्धे से दूर फेंक देने के इरादे से जरूर दंगा फसाद करेंगे। वे लोग इस बात को तो कुबूल करेंगे कि यदि वे दूसरों के कामकाज में दस्तंदाजी करके उन्हें हानि पहुँचायें तो उनका प्रतिबन्ध होना मुनासिब है; पर इस बात को वे कभी न कुबूल करेंगे कि अपने निजके कामों में भी अपनेको हानि पहुंचाने का उन्हें अधिकार नहीं है। अतएव यदि उनके निजके काम-काज में कोई दस्तंदाजी करेगा तो वे उस पर हमला करेंगे और जो वह कुछ करना चाहेगा उसका वे टीक उलटा करेंगे—सो भी बड़े आडम्बर के साथ, चुपचाप नहीं। इस तरह का व्यवहार करना वे लोग तेजस्विता और बहादुरी का लक्षण समझेंगे। जिस समय इंग्लैण्ड की राजसत्ता ऑलिवर[१] क्रामवेल के हाथ में


  1. क्रामवेल इंग्लैण्ड में पारलियामेण्ट का एक सभासद था। वह प्युरिटन सम्प्रदाय का था। सादापन उसे बहुत पसन्द था। उस समय वहां का राजा पहला चार्ल‍्स था। उसका अन्याय लोगों को असह्य हो गया। इससे पारलियामेण्ट के सभासद बिगड़ खड़े हुए। विद्रोह हुआ। विद्रोह में क्रामवेल ने बड़ी बहादुरी दिखाई। उसकी बहुत प्रसिद्धि हुई। कई लड़ाइयां हुई। राजा हारा। १६४९ ई॰ में उसे फांसी हुई। तब इंग्लैण्ड में लोक-सत्ताक राज्य स्थापित हुआ और कुछ दिनों में क्रामवेल को रक्षक (Protector) की पदवी मिली। उसके समय में नाच, तमाशा और गाना-बजाना सब प्रायः बन्द था। पर उसके बाद जब दूसरा चार्ल‍्स गद्दी पर बैठा तब सब बातें बदल गईं। जो बातें मना थीं वे होने लगीं और दुराचार की सीमा बेहद बढ़ गई। १६५८ में क्रामवेल का अन्त हुआ।