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स्वाधीनता ।

जो उदाहरण मैंने ऊपर दिये उनको लोग शायद मंजूर न करेंगे। वे शायद कहेंगे कि हम लोगों अर्थात् अंगरेजों के समाज की स्थिति ऐसी नहीं है कि इस तरह की बातें यहां हो सकें। यहां बहुमत के जोर पर समाज मांस खाने या न खाने के विषय में बहुधा कोई प्रतिबंध न करेगा; चाहे जो जैसा भजन-पूजन करे उसमें समाज हाथ न डालेगा; और अपनी अपनी इच्छा या धर्मप्रवृत्ति के अनुसार विवाह करने या न करने के विषय में समाज कोई नियम न बनावेगा । यह आक्षेप सयौक्तिक नहीं है। इसे मैं नहीं मान सकता । पर मैं एक और उदाहरण देना चाहता हूं। इस उदाह. रण में आदमियों की स्वाधीनता में जिस तरह की दस्तंदाजी की गई है उस तरह की दस्तंदाजी होने का अब भी डर है। निश्चयपूर्वक कोई यह नहीं कह सकता कि वैसी दस्तंदाजी अब कभी न होगी । कामवेल के समय में प्रजासत्तात्मक राज्य स्थापित होने पर प्युरिटन लोगों का जैसा दौरदौरा ग्रेटब्रिटन में था वैसा ही, इस समय, अमेरिका के न्यू इंग्लैण्ड नामक सूबे में है। जहां जहां इन लोगों की प्रभुता हुई है, वहां वहां इन्होंने सारे सामा. जिक और बहुत करके खानगी दिलबहलाव के काम बन्द करने का यत्न किया है । इसमें इन्हें बहुत कुछ कामयाबी भी हुई। खेल, तमाशे, मेले, नाटक, गाना, और बजाना इत्यादि इन लोगों की दृष्टि में बहुत निषिद् काम हैं। इस देश में इस समय भी बहुत से आदमी ऐसे हैं जो इन बातों को बिलकुल ही नहीं पसंद करते । नीति और धर्म के विचार से वे इन्हें बहुत बुरा समझते हैं। ऐसे आदमी विशेप करके मझले दरजे के आदमियों में से हैं। और, इसी दरजे के आदमी, इस समय, इस देश की सामाजिक और राजनैतिक बातों के सूत्र को अपने हाथ में लिये हैं। इस समय यहां इन्हीं की प्रबलता है। अतएव यह बात असम्भव नहीं कि किसी दिन इसी तरह के आदमियों की संख्या पार्लियामेंट में बढ़ जाय । ऐसा होनेसे बिकट धर्माभिमानी कालविनिष्ट और मेथाडिस्ट लोगों के धामिक और नैतिक

  • कालविन का जिक्र एक जगह पहले आचुका है। जो लोग उसके पन्ध

के अनुयायी हैं वे कालविनिष्ट कहलाते हैं। मेथाडिस्ट भी एक पन्थका नाम है । अठारहवें शतक के आरम्भ में इस की स्थापना हुई। वेस्ले नाम के दो भाई थे। उन्हींने इस पन्थ को चलाया।