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स्वाधीनता।


इस सभा को जो अधिकार मिले हैं वे उसी तरह के हैं जिस तरह के अधि कारों का वर्णन यहां पर मैंने किया है । गरीब आदमियों के फण्ड, अर्थात् चन्दे की व्यवस्था करने के लिए जो कर्मचारी नियत हैं उनपर अच्छी तरह देखभाल रखना इस सभा का काम है । इस सभा को कुछ अधिकार इससे भी अधिक मिले हैं । परन्तु इसका कारण यह है कि, यहां गरीबों के पालन पोषण के विषय में, कहीं कहीं, अधिक अव्यवस्था हो गई थी और वह खूब मजबूत हो गई थी-उसने जड़ पकड़ ली थी । मुफ्तखोर कंगलों की संख्या इतनी बढ़ गई थी कि उनसे किसी एक ही जगह, या शहर, के आदमियों को तकलीफ न होती थी; किन्तु ये कंगले आसपास के गावों तक में पहुँच जाते थे और सब लोगों को तंग करते थे । किसी शहर, कसबे या गांव की म्युनिसिपालिटी को यह अधिकार नहीं है कि अपने कर्मचारियों की अन्य व्यस्था या बदइन्तजामी से वह कंगलों को दूसरे शहर या गांव में फैल जाने दे और उनके द्वारा वहांवालों की भी तकलीफ का वह कारण हो । अतएव इस अनाचार-इस अव्यवस्था को रोकने, और कंगालखानों के पास-पड़ोस के मजदूर आदमियों की नीति को बिगड़ने से बचाने, के लिए यहां की व्यवस्थापक सभा को कुछ अधिक अधिकार देने की जरूरत पड़ी । विशेष व्यापक कानून बनाने और अपराधियों को दूर तक दमन करने की जो शक्ति इस देश की व्यवस्थापक सभा को मिली है वह सर्वथा न्याय है; क्योंकि देशभर के हिताहित से उसका सम्बन्ध है । परन्तु सब लोगों की राय इस बढ़ी हुई शक्ति के अनुकूल नहीं है । इससे यह सभा अपनी इस शक्ति को कम काम में लाती है । परन्तु उसके न्यायसङ्गत होने में कोई सन्देह नहीं है । हां यदि, किसी एक ही आध शहर या गाँव को कंगलों के उपद्रव से बचाने के लिए यह शक्ति दी गई तो बात दूसरी थी । मेरी राय में हर महकमे के लिए एक ऐसे दफ्तर की जरूरत है जिस में उस महकमे के सब दफ्तरों की रिपोर्ट पहुँचा करें और जहांसे और लोगों को उस महकमे से सम्बन्ध रखनेवाली सब बातें सालूस हो जाया करें । गवर्नमेण्ट को चाहिए कि वह ऐसा प्रबन्ध करे जिसमें हर आदमी को अपना काम उद्योग और उत्साहपूर्वक करने की उत्तेजना मिले । कोई बात ऐसी न हो जिस में किसी के उद्योग और उत्साह की वृद्धि में किसी तरह का विन आवे। इस बात का जितना अधिक खयाल गवर्नमेण्ट रक्खे उतना थोड़ा ही समझना चाहिए । यदि जुदा