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अङ्क २]
[दृश्य १
हड़ताल
रॉबर्ट
हैं हैं! तबियत को सँभालो
[व्यथित होकर]
मूर्ख, बुरे दिन के लिये एक पैसा भी नहीं रखते। जानते ही नहीं। कौड़ी कफ़न को नहीं! इन्हें खूब जानता हूँ, इनकी दशा देख कर मेरा दिल टूट गया है। शुरू-शुरू में तो सब काबू में न आते थे लेकिन अब सभों ने हिम्मत हार दी।
मिसेज़ रॉबर्ट
तुम यह आशा कैसे कर सकते हो, डेविड, वे भी तो आदमी हैं।
रॉबर्ट
कैसे आशा करूँ! जो कुछ मैं कर सकता हूँ उसकी आशा दूसरों से भी कर सकता हूँ। मैं तो चाहे भूखों मर जाऊँ सिर कभी न झुकाऊँगा। जो काम एक आदमी कर सकता है, वह दूसरा आदमी भी कर सकता है।
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