पृष्ठ:हड़ताल.djvu/१३८

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अङ्क २]
[दृश्य १
हड़ताल


सा मुँह लिए घर लौट जायँ। मैं उन की सूरत देख चुका हूँ। विश्वास मानो सब घुटने टेकने को तैयार हैं।

[खूंटी के पास जाकर अपना कोट उतार लेता है]

मिसेज़ रॉबर्ट

[उसके पीछे आँखें लगाए हुए नर्मी से]

अपना ओवर कोट ले लो डेविड, बाहर बड़ी ठंड होगी।

रॉबर्ट

[उस के पास आ कर आँखें चुराए हुए]

नहीं नहीं, चुपचाप लेटी रहो मैं बहुत जल्द आऊँगा।

मिसेज़ रॉबर्ट

[व्यथित होकर किन्तु कोमल भाव से]

तुम इसे लेते ही क्यों न जाव।

[वह कोट उठाती है, लेकिन रॉबर्ट उसे फिर उड़ा देता है। वह उस से आँखें मिलाना चाहता है लेकिन नहीं मिला सकता। मिसेज़ रॉबर्ट कोट में लिपटी हुई पड़ी रहती है, उस की आँखों में जो रॉबर्ट के पीछे लगी हुई हैं द्वेष और प्रेम दोनों मिले हुए हैं। वह फिर अपनी घड़ी

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