पृष्ठ:हड़ताल.djvu/२११

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अङ्क ३]
[दृश्य १
हड़ताल

[धीरे से]

हड़ताल के बारे में मैं कुछ कहना चाहता हूँ। क्षमा कीजिएगा। मैं समझता हूँ कि और लोग मिस्टर ऐंथ्वनी की बात मान जायँ और पीछे से मजूरों की मांगें पूरी कर दें तो झगड़ा मिट जाय। मुझे मालूम है कि कभी कभी उन के साथ यह चाल ठीक पड़ती है।

[एनिड सिर हिलाती है]

अगर उन की बात काटी जाती है तो वह झल्ला उठते हैं।

[इस भाव से मानो उस ने कोई नई बात खोज पाई हो]

मैं ने अपनी ही दशा में देखा है, कि जब मुझे क्रोध आ जाता है तो पीछे उस पर पछताता हूँ।

एनिड

[मुसकुरा कर]

तुम्हें कभी क्रोध भी आता है, फ्रॉस्ट?

फ्रॉस्ट

हाँ, हुज़ूर, कभी-कभी बहुत क्रोध आता है।

२०२