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पृष्ठ:हड़ताल.djvu/६९

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अङ्क १]
[दृश्य १
हड़ताल

राबर्ट

उस काग़ज़ पर एक वाक्य भी ऐसा नहीं है जिसे हम छोड़ सकें।

[आदमियों में कुछ हलचल होती है, राबर्ट चमक कर उनकी तरफ़ देखता है]

आप लोग इसे मानते हैं न?

[मज़दूर लोग अनिच्छा से स्वीकार करते हैं। ऐंथ्वनी टेंच से काग़ज लेकर पढ़ता है।]

एक वाक्य भी नहीं। इन में से कोई माँग ऐसी नहीं है जो अनुचित कही जा सके। हम ने कोई बात ऐसी नहीं माँगी है जिस का हमें हक न हो। मैं ने लंदन में जो कुछ कहा था वही अब फिर कहता हूँ। उस कागज़ पर कोई ऐसी बात नहीं है जिसे माँगने या देने में किसी शरीफ़ आदमी को संकोच हो।

[कुछ सोचने लगता है]

ऐंथ्वनी

इस काग़ज़ पर एक माँग भी ऐसी नहीं है, जो हम लोग पूरी कर सकें।

६०