पृष्ठ:हमारी पुत्रियाँ कैसी हों.djvu/१४०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

का भय है । इसलिये मिल के वस्त्रों को बिना अच्छी भांति धुलाए काम में लाना ठीक नहीं । सूती कपड़ों में सबसे बड़ा गुण यह है कि वे पासानी से धुल सकते हैं, परन्तु वे नमी को कम चूसते हैं इसीलिये शरीर की गमी को बहुत खर्च करते हैं । वस्त्र के साथ उसके रंगों का भी स्वास्थ्य पर खासा प्रभाव पड़ता है, सफेद रंग सबसे कम गमी चूसता है। उसके बाद क्रम से पीला, बाल, हरा, नीला और काला रंग है । इसके सिवा रंगों में विप भी होता है । लाल रंग में रक्त पड़ता है । इससे चमड़ी को बहुत नुकसान होता है। इसलिये नीचे का वस्त्र तो सफेद ही रहना उत्तम है । देश-काल की दृष्टि से मोटा खद्दर भारत के लिए प्रायः सब ऋतुओं के लिए उपयुक्त है । वह नमी को चूसता भी है। इसके सिवा सस्ता, सफेद और सरलता से धुलने वाला है। प्रायः देखा जाता है कि लोग सब ऋतुओं में बहुत से वस्त्र लादे फिरा करते हैं । ऐसे मनुष्यों के फेफड़े कमजोर हो जाते हैं । वस्त्र न ढीले हों न तंग, समान हों । बहुधा लोग गले के कालर, वास्कट, पाजामा बहुत तंग पहनने के शौकीन होते हैं । इससे शरीर में रक्त का प्रवाह रुक जाता है । वस्त्रों के विषय में इतनी बातें सोचनी चाहिए। १-वे स्वच्छ हों। २--शरीर पर जचे हुए हों। ३--यथा संभव कम हों। सदैव सिर को ठण्डा रखना और पैरों को गर्म रखना आवश्यक है। सदी में प्रायः सभी मौजा पहनते हैं । पर उन्हें स्वच्छ शायद ही कोई रखता हो । जूते ज्यादा कस कर न पहने जावें, इस से पैर विकृत हो जावेगें। यह आवश्यक है कि मोजा २४ घण्टे पहनने के बाद धो डाला जाय । भीतर की गंजी भी प्रति दिन धोना आवश्यक है। कपड़े की सम्हाल भिव-भिन्न प्रकार के कपड़ों की सम्हाल भिन्न-भिन्न प्रकार से करना