पृष्ठ:हमारी पुत्रियाँ कैसी हों.djvu/१६०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

१४६ चिमनी धुना से अन्धी-सी हो जाती है और रोशनी बिलकुल ही धीमी पड़ जाती है। उस समय यह करना चाहिये कि लालटेन के ऊपर के हिस्से को बिल्कुल साफ कर देना चाहिये और बत्ती के मुह को एकसा काट देना चाहिये । इस प्रकार बत्ती को बदलते रहना चाहिये। ४--घी को पीपों या बर्तनों में इकट्ठा करते वक्त उसको पान के टुकड़े डाल कर गरम करके और छान कर रखने से घी के बिगड़ने का बहुत दिनों तक डर नहीं रहता। ५-असली हींग की रंगत कुछ स्याही लिए हुए लाल होती है और उसके जीभ पर रखने से कुछ चरचराहट तथा कडुअापनसा मालूम होता है, भूरे रंग की हींग असली नहीं होती। ६--सरसों के उबटन से मुख उज्वल होता है। कुछ सरसों पीसकर पानी मिला गूध लेनी चाहिये, उसे मुंह पर या सब शरीर पर लगा, पांच मिनिट लगी रहने देना चाहिए । इसके बाद गुनगुने पानी से खूब अच्छी तरह मल कर धो डालना चाहिये । इसके प्रतिदिन सेवन से रूप रंग अच्छा होता है। ७--सुखाई हुई आम की पत्तियों को धधकते हुए कोयलों पर जलाने से मक्खियाँ भाग जाती हैं। --लिखने की निब और सीने की सुइयाँ यदि काम न करें, तो उनको दियासलाई की आग पर कुछ सेकण्ड रखना चाहिये । १--नींबू को चीरने से पहले यदि थोड़ी देर तक गरम पानी में छोड दिया जाय, तो उससे रस अधिक निकलेगा । १०-यदि चाकू के फल तथा अन्य ऐसी ही वस्तुएँ साफ करन हों तो बारीक नमक रगड़ना चाहिये । फिर शिमाई (Chanois leather) रगड़ने से खूब चमक आ जाती है। ११-यदि शीशे के बर्तन में कोई गर्म वस्तु रखनी हो तो उसके